प्रेम, करुणा, मैत्री, समानता व सद्भावना एवं समन्वय है सनातन
लखनऊ, 30 नवंबर (हि.स.)। व्यक्ति बड़ा नहीं होता बल्कि विचार बड़ा होता है, भाव बड़ा होता है। दुनिया में जितने भी धर्म हैं, सही मायने में वो धर्म नहीं हैं, पूरी दुनिया में धर्म एक है। जब परमात्मा एक है तो धर्म अलग—अलग कैसे हो सकते हैं। दुनियाभर में जितने भी धर्म हैं वह सब मानव निर्मित हैं, वह मत हैं, पंथ हैं, संप्रदाय हैं, उन्हें धर्म नहीं कह सकते। जो सत्य है वही शाश्वत है, जो शाश्वत है वही सनातन है, क्योंकि सनातन परमात्मा द्वारा प्रदत्त है। यह विचार शनिवार को गांधी समाभार में सनातन संगम न्यास के द्वितीय सनातनी धम्मायोजन में बोलते कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने व्यक्त किये।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आगे कहा कि परमात्मा आदि, अनंत है। हमारी तो सीमाएं हैं, हमारा अंत भी है लेकिन परमात्मा अनंत है। हम परमात्मा के हिस्से हैं, इसलिए उनसे मिलने के लिए तड़पते रहते हैं। धरती, आकाश, पहाड़, नदियां, झरने आदि प्रकृति का स्वरूप परमात्मा प्रदत्त है। सनातन भी परमात्मा प्रदत्त है।
सनातन संगम न्यास के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण ने बताया कि सनातन का अर्थ है, वह जो चिरकाल से है, जो शाश्वत है जो अपरिवर्तनीय है। जब इस शब्द का प्रयोग किसी दर्शन के संबंध में किया जाता है तो इसका अर्थ उन सिद्धांतों से होता है जो किसी व्यक्ति के द्वारा नहीं बनाए गए एवं स्वयं प्रकृति ने उन्हें मानव को उसके धर्म स्वरूप दिए हैं।
उन्होंने कहा कि सनातन भावों का किसी की पूजा पद्धति से कोई संबंध नहीं है, प्राथमिक रूप से यह भाव लौकिक व्यवहार से संबंध रखते हैं। यदि इतिहास को देखा जाए तो सनातन धर्म की स्पष्ठ व्याख्या तथागत बुद्ध ने की थी।
कार्यक्रम को पूर्व सांसद डॉ. अशोक वाजपेयी, भाजपा नेता गोविंद नारायण शुक्ला,तरुणेश, भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय, सीएमएस विद्यालय की संस्थापिका निदेशिका गीता गॉधी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विवेक कुमार बफर ने किया।
कार्यकम में देवेश कुमार दीक्षित, वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णा नन्द पाठक, ज्योतिरादित्य यादव, राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव भारत सिंह व कर्मचारी नेतना रूपेश कुमार सहित तमाम अधिवक्ता, शिक्षक एवं गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन