दशकों के लंबे संघर्ष के बाद जाट महासभा ने विस्थापितों की संपत्तियों का मालिकाना हक सुरक्षित किया: चौ. मनमोहन सिंह

जम्मू, 17 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष और जम्मू के पूर्व मेयर चौधरी मनमोहन सिंह ने पीओजेके 1947, 1965 और 1971 के विस्थापितों और पश्चिमी पाकिस्तान के विस्थापितों (डब्ल्यूपीडीपी) को मालिकाना अधिकार देने के सरकार के फैसले की सराहना की। यह निर्णय विस्थापितों की भूमि के हस्तांतरण के संबंध में लिया गया है। यह ऐतिहासिक निर्णय इन विस्थापित समुदायों द्वारा सामना किए जा रहे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों के समाधान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

इस संबंध में चौधरी मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में जाट महासभा की बैठक बुलाई गई। बैठक में बोलते हुए, चौधरी मनमोहन सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह मील का पत्थर जाट महासभा के व्यापक और स्थायी संघर्ष की परिणति है। उन्होंने 2014 के बाद से सभा द्वारा की गई कई पहलों को याद किया जिसमें मुख्य सचिवों जैसे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठकें, राज्य-स्तरीय सम्मेलनों का आयोजन और गांव-गांव दौरे और एक-पर-एक व्यापक जमीनी स्तर के अभियान शामिल हैं।

उन्होंने जाट महासभा की पूरी टीम को बधाई दी और स्वीकार किया कि यह उपलब्धि उनके अटूट समर्थन के बिना संभव नहीं थी। उन्होंने इसका सारा श्रेय अपनी टीम को दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि उनके अथक परिश्रम और दृढ़ समर्पण ने जाट महासभा की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा / बलवान सिंह

   

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