
जयपुर, 28 अप्रैल (हि.स.)। बैशाख शुक्ल तृतीया 30 अप्रेल को अक्षय तृतीया के रूप में भक्तिभाव से मनाई जाएगी। इस बार अक्षय तृतीया को अनेक शुभ और मांगलिक योग रहेंगे। इसी कड़ी में 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र रहेगा। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। सनातन धर्म में अक्षय तृतीया तिथि का अत्यधिक महत्व बताया गया है। इसे बहुत शुभ माना गया है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे हो जाएगी। इसलिए कई ब्राह्मण संगठन शाम को भगवान परशुराम जी का पूजन कर महाआरती और शोभायात्राओं का आयोजन करेंगे। लेकिन तृतीया तिथी का समापन 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे होगा। उदियात तिथि के अनुसार अक्षय तृतीया 30 अप्रेल को मानी जाएगी। कल सुबह 5:54 से सुबह 9:12 बजे तक, बाद में 10:51 से 12:30 बजे तक अत्यंत शुभ मुहूर्त रहेगा। वैसे पूरे दिन मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा बताया कि अक्षय का अर्थ होता है कभी न खत्म होने वाला। अक्षय तृतीया बेहद शुभ तिथि होती है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है, इस दिन किया हर काम सफल होता है। अक्षय तृतीया को किया गया दान, पूजा, जप और खरीदारी कभी व्यर्थ नहीं जाता। हर धार्मिक कार्य का अक्षय फल मिलता है। इसलिए माता लक्ष्मी से जुड़ी चीजों को घर लाने से उनका आशीर्वाद मिलता है, घर में उनका स्थायी वास होता है। साथ ही उन चीजों में वृद्धि होती है, भाग्य का साथ मिलता है। सोने की जगह ये चीजेंभी खरीद सकते हैं। जो लोग सोना, चांदी या कोई रत्न नहीं खरीद सकते वे कपड़ा, खाद्यान्न, दाल, घी आदि खरीदना चाहिए। श्रीयंत्र, मटका, पीली सरसों आदि भी खरीद सकते हैं। अक्षय तृतीया पर एल्यूमीनियम, स्टील या प्लास्टिक के बर्तन नहीं खरीदने चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता। इस दिन भूलकर भी काले रंग के कपड़ेे, कांंटदार पेड़-पौधों को घर लाना भी शुभ नहीं माना जाता।
सोना लाएगा सुख-समृद्धि:
मान्यता है कि अक्षय तृतीया को सोना खरीदने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र में आने से शुभ योग बन रहे हैं। आगामी समय में भी सुखदायक योग बनेंगे। इस दिन विवाह करना, गृह प्रवेश, खरीददारी करना, मकान खरीदना, ज्वैलरी एवं वाहन की खरीदी करना शुभ होता है। इस दिन भगवान परशुरामजी की जयंती भी मनाई जाएगी। लक्ष्मीजी की भी पूजा-अर्चना की जाएगी। इसी दिन त्रेता युग का भी आरंभ हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन स्नान के बाद जप, तप, हवन और दान करने से अक्षय फल मिलता है।
सामान की खरीदारी देगी अक्षय फल:
अक्षय तृतीया का पर्व लंबी अवधि की चीजों, नए काम शुरू करने और भूमि-भवन के अलावा ज्वैलरी और इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया को शोभन योग, लक्ष्मी नारायण, गजकेसरी और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से खरीदी वस्तुएं अति फलदायी होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी के दर्शन भी किए जाते हैं। इसी दिन भगवान परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था।
अबूझ सावे पर सैंकड़ों जोड़े बधेंगे परिणय सूत्र में
अक्षय के अबूझ सावे पर जयपुर जिले में सैंकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में बधेंगे। ब्राह्मण, जांगिड़ सहित कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन भी होंगे। एकल विवाह की भी धूम रहेगी। राजधानी के सभी प्रमुख होटल, बैंक्वेट हॉल, सामुदायिक केन्द्र और मैरिज गार्डन पहले से ही बुक हैं। विवाह के अलावा नूतन गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत संस्कार भी होंगे। अबूझ मुहूर्त होने के कारण अन्य मांगलिक आयोजन भी जमकर होंगे। ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि अक्षय तृतीया के बाद 12 मई को पीपल पूर्णिमा का अबूझ सावा रहेगा। इस बार अप्रैल से 6 जुलाई तक विवाह संस्कार के लिए शुभ समय है। कुल 22 सावे और 6 अबूझ सावे इस अवधि में आ रहे हैं, जिससे विवाह आयोजनों की जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है। अप्रैल के महीने में किसानों द्वारा अपनी रबी फसल की कटाई पूरी कर लेने के बाद वे अब विवाह की तैयारियों में जुटे हुए हैं। कपड़ों, गहनों, सजावट और मिठाइयों की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ लगी हुई है। गार्डन, टेंट हाउस और कैटरर्स की बुकिंग भी लगभग फुल हो चुकी है। शादी-विवाह के इस शुभ मौसम में न केवल सामाजिक समरसता देखने को मिलती है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी एक नई रफ्तार मिलती है
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश