जींद : श्रद्धालु शनिवार को पिंडारा तीर्थ में लगाएंगे डुबकी, लगेगा मेला
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- Mar 28, 2025

जींद, 28 मार्च (हि.स.)। चैत्र माह की अमावस्या शनिवार को है और यह बेहद खास भी रहेगी। इसीलिए इस अमावस्या को शनि अमावस्या भी कह कर पुकारा जा रहा है। साथ ही सूर्य ग्रहण का संयोग भी रहने वाला है। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नही देगा। जिससे इसका सूतक काल लागू नही होगा। बावजूद इसके यह दिन पितृ तर्पण के लिए विशेष है। क्योंकि शनि अमावस्या को पितरों की कृपा पाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाता है।
इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसीलिए पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर शनिवार को चैत्र अमावस्या पर श्रद्धालु सरोवर में स्नान, पिंडदान करके करके तर्पण करेंगे। इस दौरान मेले का भी आयोजन किया जाएगा। प्रशासन ने पिंडारा तीर्थ पर श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो, इसकी व्यवस्था कर दी है। पुलिसकर्मियों की तैनाती के साथ-साथ सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं।
जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने शुक्रवार को बताया कि पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। चैत्र अमावस्या के दिन विधि विधान से पितर तर्पण करने से पितृ दोष से भी छुटकारा मिलेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा