पीएचडी स्कॉलरशिप से वंचित माओवादी नेता 5 दिन से अनशन पर

कोलकाता, 09 सितम्बर (हि.स.) पश्चिम बंगाल में पीएचडी रिसर्च के दौरान स्कॉलरशिप से वंचित माओवादी नेता रहे अर्णब दाम बर्धमान केंद्रीय सुधार गृह में बीते शुक्रवार से अनशन पर बैठे हैं। उनकी ओर से आवाज उठाने के लिए मानवाधिकार संगठन एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) की छह सदस्यीय टीम बर्धमान विश्वविद्यालय के कुलपति शंकर कुमार नाथ से मिली।

कुलपति ने मंगलवार को बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अर्णब दाम का आवेदन संबंधित विभाग में भेज दिया गया है। इसके अलावा, फीस माफी सहित अन्य सभी सुविधाएं दी जा चुकी हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय की ओर से अलग से कोई छात्रवृत्ति शुरू करने पर अभी तक विचार नहीं हुआ है।

एपीडीआर की टीम बाद में अर्णब दाम से मिलने सुधार गृह पहुंची, लेकिन उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। इसके बाद, वे गेट के सामने ही बैठ गए। अंततः जेल प्रशासन ने फोन पर अर्णब से उनकी बात कराई। संगठन के सदस्यों ने उन्हें अनशन खत्म करने का आग्रह किया, जिस पर अर्णब ने विचार करने की बात कही।

अर्णब दाम, जिन्हें साथी कार्यकर्ता ‘कॉमरेड विक्रम’ के नाम से भी जानते हैं, ने कॉलेज सर्विस कमीशन की परीक्षा (सेट) में अच्छे अंक हासिल किए थे। उनका सपना था कि वे जादवपुर या प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय से शोध करें। फिलहाल, वे बर्धमान विश्वविद्यालय में इतिहास विषय पर शोधरत हैं।

उनका आरोप है कि रिसर्च स्कॉलरशिप का कोई भी भुगतान उन्हें अब तक नहीं मिला है। किताबें खरीदने और अध्ययन सामग्री जुटाने तक के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। इसी स्थिति से क्षुब्ध होकर उन्होंने जेल में ही अनशन शुरू कर दिया।

बर्धमान विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्राध्यापिका और अर्णब की रिसर्च गाइड सैयद तनवीर नासरीन का कहना है कि शोधार्थियों को प्राथमिकता के आधार पर स्कॉलरशिप मिलती है। यदि पहली बार में किसी का आवेदन स्वीकृत नहीं होता, तो बाद में फिर से आवेदन करने का अवसर होता है। अर्णब दाम को भी इस प्रक्रिया के तहत दोबारा प्रयास करना चाहिए। --------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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