शास्त्रीय संगीत साधना व आत्मा का संवाद : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

सांस्कृतिक संध्या में प्रतिभागियों के साथ कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई एवं अन्य अतिथिगण।सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुति देते कलाकार।

गुजवि में की जाएगी स्पिकमैके हेरीटेज क्लब की स्थापना : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

गूंज क्लब व स्पिकमैके के सौजन्य से सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

हिसार, 16 अप्रैल (हि.स.)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक गतिविधियों

की एक समृद्ध परंपरा है। नृत्य, नाटक, संगीत, चित्रकला व साहित्य हर विधा में हमारे

विद्यार्थी अपनी पहचान बना रहे हैं। सांस्कृतिक गतिविधियां न केवल विकास का माध्यम

हैं, बल्कि हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति से भी जोड़ती हैं।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई विश्वविद्यालय के गूंज क्लब व स्पिकमैके के

सौजन्य से आयोजित सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। विश्वविद्यालय

के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई कार्यक्रम में मुख्यातिथि रहे जबकि विश्वविद्यालय

की प्रथम महिला डा. वंदना बिश्नोई भी इस अवसर पर उपस्थित रही। कुलपति ने कहा कि विशेषरूप

से शास्त्रीय संगीत हमारी सांस्कृतिक विरासत का अमूल्य हिस्सा है। यह केवल स्वर और

ताल की रचना नहीं, बल्कि साधना और आत्मा का संवाद है। कुलपति ने घोषणा की कि विश्वविद्यालय

में स्पिकमैके हेरीटेज क्लब की स्थापना की जाएगी, जिसके माध्यम से विद्यार्थी शास्त्रीय

संगीत, नृत्य, लोककला और भारतीय परंपराओं से और गहराई से जुड़ पाएंगे। उन्होंने गूंज

क्लब को भी इस आयोजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी।

आयोजन में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने ‘फौजी का संघर्ष’ नामक एक प्रेरणादायक

संगीतमय नाटक की प्रस्तुति दी तथा स्पिकमैके के सौजन्य से प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक

पंडित रितेश मिश्रा तथा पंडित रजनीश मिश्रा के साथ-साथ पंडित सुमित कुमार और पंडित

मितेश झा ने शास्त्रीय संगीत की शानदार प्रस्तुतियां दी।

डीन स्टूडेंटस वेल्फेयर प्रो. अनिल कुमार ने विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक गतिविधियों

व गूंज क्लब के बारे में विस्तार से बताया। गूंज क्लब के संरक्षक प्रो. खुजान सिंह

ने इस अवसर पर कहा कि यह प्रयास विद्यार्थियों में कला और संस्कृति के प्रति रुचि उत्पन्न

करने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजन करवाए जाते

रहेंगे।

शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के बारे में विद्यार्थियों

की समझ को और समृद्ध किया। संगीतमयी नाटक की प्रस्तुति ने देशभक्ति के साथ-साथ लैंगिक

असमानता, कर्मचारी शोषण, एकल परिवार की गतिशीलता और पीढ़ीगत संघर्षों सहित सामाजिक विषयों

की एक विस्तृत श्रृंखला को संबोधित किया। इस आयोजन के दौरान विद्यार्थियों से विद्वान

संगीत विशेषज्ञों से सीधा संवाद भी किया। उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर

भी दिए।

यह कार्यक्रम प्रीएंबल आईएएस, हिसार की ओर से प्रायोजित था। इस सहयोगात्मक

प्रयास ने न केवल सांस्कृतिक मंच को सशक्त किया, बल्कि युवाओं को प्रेरित करने की दिशा

में भी एक सार्थक पहल साबित हुआ।कार्यक्रम

का संचालन डा. विनीता चौहान, डा. सुनीता रानी व डा. मनीषा जांगड़ा ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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