वेदानुसार मनुष्य को अर्थ का दास नहीं, बल्कि स्वामी बनना चाहिए : आचार्य योगेन्द्र याज्ञिक



श्रावणी पर्व के अवसर पर आर्य समाज सेक्टर 7 बी में वेद प्रचार सप्ताह शुरू  

चण्डीगढ : आर्य समाज, सैक्टर 7-बी में वेद प्रचार सप्ताह के अन्तर्गत, श्रावणी पर्व के अवसर पर आध्यात्मिक वैदिक व्याख्यान तथा भजनों का आयोजन आरम्भ हुआ जिसमें आर्य जगत के प्रतिष्ठित विद्वान आचार्य योगेंद्र याज्ञिक ने प्रवचन के दौरान कहा कि मानव जीवन की उन्नति के लिए धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष अति आवश्यक है, परंतु आज मानव धर्म को भूलकर अर्थ पर केंद्रित हो गया है। वेद में अर्थ अर्थात धन को कमाने की मनाही नहीं है, लेकिन अर्थ का दास बनकर रहने के लिए मना किया गया  है। अगर व्यक्ति अर्थ का दास बनकर रह जाता है तो वह अनर्थ है। वेद कहता है कि हमें अर्थ का दास नहीं, बल्कि स्वामी बनना चाहिए। हमेशा प्रयास रहना चाहिए कि अर्थ के साथ-साथ शरीर, बुद्धिमान, आत्मा और परमात्मा के लिए समय निकले। पं. भानु प्रकाश शास्त्री, भजनोपदेशक ने मधुर भजन प्रस्तुत किये। इस मौके पर भिन्न-भिन्न आर्य समाजों और डीएवी शिक्षण संस्थाओं से काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।  

 

   

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