असमः राज्यपाल ने भट्टदेव विवि के प्रथम दीक्षांत समारोह में उपाधियां प्रदान कीं
- Admin Admin
- Mar 29, 2025

-भट्टदेव विवि से अपने छात्रों को डिजिटल तकनीक से सशक्त बनाने के लिए विशेष कदम उठाने को कहा
बजाली (असम), 29 मार्च (हि.स.)। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहा कि 21वीं सदी डिजिटल क्रांति का युग है, जो नए युग के छात्रों के लिए अनेक अवसर प्रस्तुत करता है। भट्टदेव विश्वविद्यालय एक नया विश्वविद्यालय होने के नाते अपने छात्रों को डिजिटल तकनीक के ज्ञान से सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए ताकि वे जीवन में अपने सपनों को प्राप्त कर सकें।
राज्यपाल आचार्य ने आज बजाली में भट्टदेव विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) स्वास्थ्य सेवा से लेकर परिवहन तक, मनोरंजन से लेकर शिक्षा तक पूरी दुनिया को बदल रही है, एआई उद्योगों में क्रांति ला रही है और मानवीय क्षमता को बढ़ा रही है। उन्होंने भट्टदेव विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों से छात्रों को एआई के विज्ञान में निपुण बनाने में मदद करने के लिए एआई आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने का आह्वान किया।
असमिया गद्य के जनक भट्टदेव के नाम से प्रसिद्ध बैकुंठनाथ भट्टाचार्य को श्रद्धांजलि देते हुए राज्यपाल ने कहा कि भट्टदेव के योगदान के अनुरूप विश्वविद्यालय को 21वीं सदी के लिए प्रासंगिक शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर शिक्षण देने के साथ-साथ विश्वविद्यालय को असमिया और संस्कृत साहित्य पढ़ाने में भी अपनी पहचान बनानी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि राज्य भर में शिक्षा के क्षेत्र में ‘बजाली’ की एक अलग पहचान है। शिक्षा के साथ-साथ इसने भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए उन्होंने छात्रों से विश्वविद्यालय और इसके स्थान के प्रति ऋणी रहने को कहा।
राज्यपाल आचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने उच्च शिक्षा में सुलभता, समावेशिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में तेजी से प्रगति की है। डिजिटल नवाचार जैसे लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से शैक्षिक असमानताओं को पाटने और भावी पीढ़ियों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। स्नातकों को इस शैक्षणिक परिवर्तन का अभिन्न अंग बताते हुए राज्यपाल ने उनसे कहा कि वे अपने विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान का उपयोग राज्य के साथ-साथ देश में भी गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए करें।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) एक मजबूत शिक्षा प्रणाली है जो भारत की समृद्ध ज्ञान परंपराओं पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करती है, जो भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करती है। आचार्य ने स्नातकों से कहा कि वे विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए विश्वविद्यालय में प्राप्त अपने ज्ञान, कौशल और अनुभव का सर्वोत्तम उपयोग करें।
राज्यपाल ने कहा कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो न केवल तकनीकी ज्ञान से लैस हों, बल्कि दूरदर्शी दृष्टिकोण और मजबूत नैतिक मूल्यों से युक्त हों, ताकि देश को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाया जा सके। राज्यपाल ने आगे कहा, आप अब स्नातक हो चुके हैं और जीवन के नए चरण में कदम रख रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस विश्वविद्यालय में आपने जो ज्ञान और कौशल अर्जित किया है, वह जीवन में उभरते अवसरों का लाभ उठाने में आपकी मदद करेगा।
इस अवसर पर राज्यपाल ने भट्टदेव विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और प्रबंधन को अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए बधाई दी। राज्यपाल ने राज्य में शिक्षा के गुणात्मक उत्थान के लिए ‘गुणोत्सव’ शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा के प्रयासों की भी सराहना की।
उल्लेखनीय है कि दीक्षांत समारोह में कुल 1,920 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं, जिनमें दो पीएचडी, 496 स्नातकोत्तर तथा 1422 स्नातक विद्यार्थी शामिल हैं। इनमें से 66 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त, ग्रेटर बाजाली क्षेत्र के प्रसिद्ध रंगमंच, कला और सांस्कृतिक प्रतीक कृष्णा रॉय को मानद पीएचडी उपाधि प्रदान की गई है।
हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय