असम में 50 फीसदी तक पहुंच सकती है अल्पसंख्यकों की आबादी : मुख्यमंत्री सरमा

गुवाहाटी, 23 जुलाई (हि.स.)। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य की जनसंख्या संरचना को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जनगणना के पूर्ववर्ती आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो आने वाले वर्षों में राज्य में अल्पसंख्यक आबादी 50 फीसदी तक पहुंच सकती है।

मुख्यमंत्री ने 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए बताया कि फिलहाल असम में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 34 फीसदी है, जिसमें से 31 फीसदी वे मुस्लिम हैं जो बांग्लादेश से आए हैं, जबकि तीन फीसदी असम के मूल निवासी मुसलमान हैं।

मुख्यमंत्री के अनुसार, यदि 2021 की जनसंख्या वृद्धि दर को आधार बनाकर 2031 के संभावित आंकड़ों का अनुमान लगाया जाए, तो राज्य में जनसंख्या अनुपात लगभग बराबरी पर पहुंच सकता है। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, “यह मेरा निजी अनुमान नहीं है। मैं सिर्फ जनगणना के तथ्यों को सामने रख रहा हूं।”

डॉ. सरमा ने इससे पहले 10 जून को भी ग्वालपाड़ा क्षेत्र में हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव को लेकर अपनी आशंका जताई थी। एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि पहले यह क्षेत्र हिंदू बहुल था, लेकिन अब यहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक हो गई है।

उन्होंने कांग्रेस पार्टी से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि वह इस परिवर्तन के पक्ष में है या नहीं। उन्होंने सवाल किया, “कांग्रेस पार्टी किसके साथ खड़ी है?”

मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित बाघबर क्षेत्र से हो रहे प्रवास का जिक्र करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में लोग ग्वालपाड़ा के राक्षसनी पहाड़ वन क्षेत्र सहित कई हिस्सों में आकर बस गए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रवास ने ग्वालपाड़ा सर्किट हाउस, जिला न्यायालय परिसर सहित कई क्षेत्रों की जनसंख्या संरचना पूरी तरह से बदल दी है।

उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे खुद इन क्षेत्रों का दौरा करें और बदलते हालात को प्रत्यक्ष रूप से देखें।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

   

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