विधानसभा में बलोदा बाजार हिंसा को लेकर हंगामा, कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित

रायपुर, 22 जुलाई (हि.स.)। छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष ने बलौदा बाज़ार आगजनी मामले पर आज स्थगन प्रस्ताव लाया। जिस पर चर्चा की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की। जिस पर सत्ता पक्ष की ओर से पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने आपत्ति जताई । चंद्राकर ने कहा की बलौदाबाजार मामले की न्यायिक जांच चल रही है। इसलिए इस मामले पर विधानसभा में चर्चा उचित नहीं है। इसी के सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक झोंक हुई, और हंगामा भी मच गया। चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने काम रोको प्रस्ताव को खारिज कर दिया। जिसके बाद सतनामी समाज को न्याय देने को लेकर विपक्ष ने सदन में नारेबाज़ी की, जिसके बाद अध्यक्ष रमन सिंह ने सदन की कार्यवाही 3 बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इसी पर चर्चा प्रारंभ कर दी। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाना चाहा, जिससे नाराज होकर कांग्रेस के सभी सदस्य गर्भगृह में घुसकर मुख्यमंत्री इस्तीफा दो, सतनामी समाज को न्याय दो जैसे नारे लगाते रहे। इसी बीच स्पीकर ने नियमानुसार विपक्ष के 29 सदस्यों के निलंबन की घोषणा की और सभी को सदन से बाहर जाने कहा परंतु इसका विपक्ष पर कोई असर नहीं हुआ और वे सरकार विरोधी नारे लगाते रहे। जिसके बाद विधान सभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी है।

इससे पहले स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आस्था, प्रतीक को तोड़ने का काम किया है।प्रदेश की समरसता और भाईचारा को खत्म करने का षडयंत्र हुआ है। राज्य की शांति भंग हुई है।हिंसा का वातावरण बना है। समाज को बांटने का काम हुआ है।मेरी जानकारी के मुताबिक कई संगठनों से अब तक 168 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।हम सदन के माध्यम से यह जानना चाहते हैं कि कौन ऐसे लोग जो छत्तीसगढ़ की सद्भावना को मिटाना चाहते हैं।हम इस पर चर्चा की मांग करते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बलौदाबाजार की कंपोज़िट बिल्डिंग में आगजनी की गई।सतनामी समाज के जैतखंभ को नुक़सान पहुँचाने से विवाद शुरू हुआ।सतनामी समाज के आक्रोश के बाद एफआईआर दर्ज की गई। बिहार के तीन मज़दूरों को गिरफ़्तार किया गया। समाज में आक्रोश बढ़ता गया. समाज ने कहा कि कोई व्यक्ति सिर्फ़ मज़दूरी नहीं मिलने से जैतखंभ को नुक़सान नहीं पहुँचा सकता।समाज ने सीबीआई जाँच की माँग की।पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज ने आंदोलन की अनुमति मांगी थी।राज्य के बाहर से भी लोग आये। नागपुर से भी लोग पहुँचे। दस हज़ार से ज़्यादा लोग जुटे थे। एसपी-आईजी, कलेक्टर कोई मौजूद नहीं था। सभा स्थल पर ज्ञापन लेने कोई अधिकारी नहीं आया।एसपी-कलेक्टर की भूमिका संदेहास्पद है।

कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने कहा कि शैलेंद्र बंजारे नाम के युवा को पुलिस ने उठाया. वह घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं था। फिर भी उसे हिरासत में लिया गया। इसी तरह हिरासत में लेने दीपक मीरी के घर पुलिस पहुंची ।तीन महीने पहले ही वह मर चुका था। कांग्रेस विधायक कविता प्राणलहरे ने कहा, एक बिहारी को मुजरिम बनाकर ला कर खड़े कर दिया गया। आंदोलन हुआ तो हजारों की भीड़ में पांच सौ पुलिस भी नहीं थी।

पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि हम नारा लगाते हैं कि सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया, लेकिन बलौदाबाज़ार का कलेक्टर ऑफिस भी सुरक्षित नहीं। कलेक्टर-एसपी इस घटना के जिम्मेदार हैं।इन लोगों को जेल भेज देना चाहिए।

गृहमंत्री विजय शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह कहना गलत कि अमरगुफा घटना पर करवाई नहीं हुई। यह भी कहना गलत कि ज्ञापन लेने अधिकारी मौजूद नहीं थे, 40 पुलिस कर्मचारी घायल हुए, 14 केस दर्ज हुए हैं। गृहमंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया किया।

इससे पहले भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया.। उन्होंने कहा कि इसी सदन में खाद्य विभाग के सवाल को न्यायालय में लंबित होने के आधार पर नहीं सुना गया था।बलौदाबाजार की घटना पर न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है।ऐसे में इस मामले को सदन में उठाये जाने पर आसंदी अपनी व्यवस्था दें।

भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि न्यायिक जांच आयोग का जांच का दायरा काफ़ी विस्तृत होता है। हाईकोर्ट के जस्टिस की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है। कंडिका 7 में लिखा गया है कि ऐसे मामलो की चर्चा नहीं हो सकती, जो न्यायालय में लंबित है।

इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि नियमों में यह स्पष्ट है कि अध्यक्ष अपने विवेक से अनुमति दे सकते हैं।अध्यक्ष की अनुमति से न्यायालय में प्रक्रियाधीन विषय पर चर्चा की जा सकती है।जांच आयोग का क्षेत्र सीमित है। बलौदा बाजार की घटना में कलेक्टर कार्यालय, एसपी कार्यालय में आगज़नी हुई। तोड़फोड़ किया गया. पहले भी न्यायिक और अर्ध न्यायिक प्रकरणों पर सदन में चर्चा होती रही है।

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि घटना घटी ही क्यों? इसकी पृष्ठभूमि की चर्चा भी आएगी। घटना से संबंधित सभी विषय जांच में आयेंगे। इसलिए सदन की परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस पर चर्चा नहीं कराई जाई। कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव ने कहा कि झीरम घाटी, नसबंदी कांड पर न्यायिक जांच गठित की गई थी, लेकिन उस पर भी सदन में चर्चा की गई थी।

सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इसी पर चर्चा प्रारंभ कर दी। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाना चाहा, जिससे नाराज होकर कांग्रेस के सभी सदस्य गर्भगृह में घुसकर मुख्यमंत्री इस्तीफा दो, सतनामी समाज को न्याय दो जैसे नारे लगाते रहे। इसी बीच स्पीकर ने नियमानुसार विपक्ष के 29 सदस्यों के निलंबन की घोषणा की और सभी को सदन से बाहर जाने कहा परंतु इसका विपक्ष पर कोई असर नहीं हुआ और वे सरकार विरोधी नारे लगाते रहे।जिसके बाद विधान सभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी ।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा / चन्द्र नारायण शुक्ल

   

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