चंबल शिखर सम्मेलन का यादगार आयोजन, क्षेत्र की समस्याओं, जरूरतों और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों पर हुआ मंथन

औरैया, 26 सितंबर (हि.स.)। चंबल संग्रहालय पंचनद द्वारा आयोजित चंबल शिखर सम्मेलन पांच नदियों के महासंगम पर सम्पन्न हुआ। इस शिखर सम्मेलन में ‘चंबल अंचल का समृद्ध इतिहास’ विषय पर एक दर्जन से अधिक विद्वानों-शोधार्थियों ने अपने आलेख के जरिये नई बहस को जन्म दिया।

चंबल शिखर सम्मेलन में इतिहासविद्, स्थानीय विद्वानों, बुजुर्गों के मौखिक विचार और शोधार्थियों के शोध पत्रों के माध्यम से अंचल के इतिहास का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया गया। चंबल की समस्याओं, उभरती जरूरतों, और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों पर विचार साझा करने के साथ एकजुट होकर समाधान की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लिया गया।

शिखर सम्मेलन में चंबल का इतिहास, स्वाधीनता संग्राम, लोक संस्कृति, भारतीय सेना में चंबल का योगदान, खेल, सिनेमा, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी में चंबल का योगदान, पर्यटन, ऐतिहासिक स्थल, खेती-किसानी, और महान विभूतियों पर चर्चा हुई। शिखर सम्मेलन से नई पीढ़ी यहां की गौरवशाली विरासत और इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास को रूबरू हो सकी। वक्ताओं ने कई वर्षों से चंबल संग्रहालय, पंचनद द्वारा लोक संस्कृति, धरोहर, इतिहास, बोली, भाषा, और ज्ञान की धारा को सहेजने और संरक्षित करने के प्रयास की सराहना की।

विश्वप्रसिद्ध पुरातत्वविद्ध, संग्रहालयवेत्ता और लेखक डॉ. डीपी शर्मा ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विभिन्न स्थलों से इंडो ग्रीक शिलालेखों, सिक्कों और अन्य पुरातत्व सामग्रियों के संदर्भो से यहां की कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया। वहीं घाटी के इतिहासकार और लेखक देवेन्द्र सिंह चौहान ने सुविख्यात लेखक, राष्ट्रवादी पत्रकारिता के अग्रदूत, आजादी आंदोलन के महान लड़ाका, सांप्रदायिक सद्भाव के प्रबल समर्थक रहे कर्मवीर पं. सुंदरलाल को जन्म दिवस पर स्मरण करते हुए चंबल घाटी का चीनी और नेपाली मुक्ति संग्राम में योगदानों को रेखांकित किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोधार्थी रमेन्द्र सिंह ने चंबल घाटी के सकारात्मक योगदानों पर और कार्य किये जाने की वकालत की।

शोधार्थी और कथाकार शिवानी आशा शर्मा के शोध आलेख ‘इतिहास के आईने में चंबल’ वरिष्ठ पत्रकार और कवि शंकरदेव तिवारी ने ‘चंबल का आत्मबल’ वरिष्ठ पत्रकार और लेखक केपी सिंह का आलेख ‘चंबल राज्य का गुंजार क्यों’ शौर्य चक्र विजेता शहीद विवेक सिंह तोमर के फौजी भाई धर्मेन्द्र सिंह तोमर ने ‘भारतीय सेना में चंबल के जांबाज’ शोधार्थी और लेखक जगदेव सिंह भदौरिया ने ‘चंबल पर अध्ययन और शोध के लिए पुस्तकें’ जयेंद्र सिंह राणा ने ‘चंबल घाटी के अर्द्धसैनिक बलों का योगदान’ सूरज रेखा त्रिपाठी एडवोकेट ने ‘बदलता चंबल’ वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र सिंह सेंगर ने ‘पंचनद घाटी में विकास की संभावनाएं’ जीतू चौहान ने 'चंबल अंचल की खेती परंपरा' आदि आलेखों और संस्मरणों के जरिए चंबल शिखर सम्मेलन को सार्थक किया। चंबल शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष बापू सहेल सिंह परिहार ने की। संचालन डॉ. कमल कुमार कुशवाहा ने किया।

चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि सभी उपलब्ध सामग्री को पुस्तकाकार प्रकाशित किया जाएगा, जो कि शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्व दस्तावेज साबित होगा।

चंबल शिखर सम्मेलन को सफल बनाने में पुलकित बिन्द्रा, प्रत्युष रंजन, मनोज सोनी, हर विलास यादव, मोनू ठाकुर, राहुल परिहार, रॉबिन परिहार, आदिल खान, शैलेन्द्र परिहार आदि का योगदान रहा। इस अवसर पर गजेन्द्र सिंह एडवोकेट, सुरेन्द्र परिहार, मुकेश शर्मा, राजेश सक्सेना, विजतेन्द्र गुप्ता, प्रदीप सिंह आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे। इस अवसर पर चंबल संग्रहालय द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई गई।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील कुमार

   

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