110वें स्थापना दिवस पर बीएचयू हुआ वासंती रंगों में सराबोर,निकली भव्य झांकिया

निकली झांकियांनिकली झांकियां

— विश्वविद्यालय की विविधता और विरासत की झांकिया आकर्षण,महाकुंभ और विकसित भारत की दिखी झलक

वाराणसी,03 फरवरी (हि.स.)। सर्वविद्या की राजधानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सोमवार को 110वां स्थापना दिवस वासंती उल्लास के साथ मनाया गया। पूरा परिसर स्थापना दिवस समारोह की आभा में दमकता दिखा। वर्ष 1916 में वसंत पंचमी के दिन ही विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई थी।

स्थापना दिवस की शुरूआत परम्परानुसार स्थापना स्थल पर हवन-पूजन के साथ हुई, जिसमें प्रभारी कुलपति एवं कुलगुरू प्रो. संजय कुमार, कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, संकाय प्रमुखों ने भागीदारी की। इसके बाद विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों, केन्द्रों, व संस्थानों ने “प्रतीचि प्राची का मेल सुन्दर – काशी हिन्दू विश्वविद्यालय” की थीम पर झांकियां पेश की। प्रभारी कुलपति प्रो. संजय कुमार, तथा मुख्य अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, के कुलपति प्रो, बिहारी लाल शर्मा ने स्थापना दिवस झांकियों को हरी झंडी दिखाकर औपचारिक शुरुआत की। इन झांकियों में बीएचयू की विशेषताओं, विविधता व समृद्ध विरासत के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों व विकास गाथा को प्रदर्शित किया गया।

स्थापना दिवस समारोह में कुल 30 झाँकिया निकाली गईं। मालवीय भवन से गुजरती हुई भव्य झांकियों में महामना की बगिया में विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिची व प्राची के मेल की झलक पेश करते हुए विश्वविद्यालय की बढ़ती प्रतिष्ठा व मान को रेखांकित किया गया। विद्यार्थियों की प्रतिभा, उत्साह, व सृजनात्मकता ने संपूर्ण वातावरण में ऊर्जा व भाव का संचार किया। इन झांकियों में आयुर्वेद तथा आधुनिक चिकित्सा के साथ होने से अधिक समग्र और प्रभावी उपचार पद्धति की उपलब्धता, भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक ज्ञान पद्धति व विज्ञान के साथ जोड़ने, पारंपरिक कृषि में आधुनिक नवाचार के इस्तेमाल तथा नवोन्मेष के माध्यम से कृषि के विकास, विद्यार्थियों को पारंपरिक ज्ञान के साथ साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने की महामना की सोच को साकार करने में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की भूमिका, ज्ञान की विभिन्न विधाओं को सहेजने व आगे बढ़ाने में बीएचयू के योगदान, महामना के विचार के अनुरूप विद्यार्थियों को एक सकारात्मक व अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने एवं समावेशिता को प्रोत्साहित करने, विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक विरासत व गौरव यात्रा, आदि अनेक संदेशों पर मुख्य मंच के समक्ष प्रस्तुतियां दीं।

समारोह में सेन्ट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल कमच्छा के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना का नृत्य प्रदर्शन किया तथा विद्यालय के ऐतिहासिक कार्यों को दर्शाया, तो वहीं, सेन्ट्रल हिन्दू बॉएज़ स्कूल ने अंतरिक्ष मिशन, विश्वविद्यालय कुलगीत व महाकुम्भ 2025 की झांकी प्रस्तुत की। रणवीर संस्कृत विद्यालय ने वेदपाठ वर्तमान समय में गीता के दर्शन की आवश्यकता को रेखांकित किया। महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने अपनी झांकी में विकास भी विरासत भी पर नाट्य प्रस्तुति का मंचन किया और विरासत के साथ विकसित भारत में महिलाओं की भूमिका को प्रदर्शित किया। संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय ने पर्यावरण संरक्षण, प्राच्य विद्या द्वारा खगोलीय घटनाओं की शिक्षा का प्रदर्शन किया। चिकित्सा विज्ञान संस्थान के विभिन्न अंगों की झांकियों में आयुर्वेद चिकित्सा ज्ञान का समंदर, डेंटल साइंस ने नुक्कड़ नाटक द्वारा डेंटल हाईजीन के प्रति जागरूक किया ।

विधि संकाय ने लघु नाटक के माध्यम से बताया कि विधि का नया स्वरूप महिलाओं के सशक्तिकरण में सहायक है। विज्ञान संस्थान ने समुद्र मंथन के साथ कृत्रिम उपग्रह के साथ सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों को दर्शाया। वेटेनरी साइंस ने डॉग ट्रेनिंग, कड़कनाथ मुर्गो पर हो रहे शोध तथा पक्षी संरक्षण आदि को प्रदर्शित किया । विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिषद् ने ज़ुम्बा पिरामिड, हॉकी आदि अन्य खेलों के माध्यम से स्वस्थ रहने के तरीके सुझाये। मंच कला संकाय की झांकी में संगीत महाकुम्भ के माध्यम से विभिन्न नृत्य मुद्राओ का प्रदर्शन किया गया। इसी तरह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए विद्यार्थी कल्याण प्रकोष्ठ ने भी अपनी झांकी पेश की। यह झांकी पहली बार प्रदर्शित की गई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बीएचयू ने स्वर्ण ड्रोन व राम मंदिर की सुंदर झांकी प्रदर्शित की। इसी तरह प्रबंध शास्त्र संस्थान, दक्षिणी परिसर, पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान, राष्ट्रीय सेवा योजना, वैदिक विज्ञान केन्द्र, उद्यान विभाग इकाई ने भी मनमोहक व महत्वपूर्ण संदेशों वाली झांकियां प्रस्तुत कीं। पूरे कार्यक्रम में दृश्य कला संकाय के छात्रों की बनाई महामना की 5 फीट की गीता पाठ करती हुई प्रतिमा आकर्षण का केंद्र रही । नृत्य कला संकाय के छात्र छात्राओं ने कुलगीत पर सुंदर नृत्य की प्रस्तुति की।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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