शानदार शोभायात्रा के साथ बीएचयू के अंतर-संकाय युवा महोत्सव का आगाज

अंतर-संकाय युवा महोत्सव

—पद्मश्री डॉ. सोमा घोष ने दी दमदार प्रस्तुति,महामना को किया याद

वाराणसी,03 मार्च (हि.स.)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अंतर-संकाय सांस्कृतिक महोत्सव 'स्पंदन' का सोमवार को लगभग पंच साल बाद फिर शुरूआत हुई। परिसर स्थित एम्फीथिएटर खेल मैदान में संकायवार निकली सांस्कृतिक शोभायात्रा झांकियों में शामिल विद्यार्थियों के साथ दर्शन छात्रों में भी उत्साह दिखा। ढोल नगाड़े की थाप पर थिरकते विद्यार्थी अंतर संकाय के युवा महोत्सव में भाग लेने खेल मैदान में पहुंचे।

इसके पहले देश की जानी मानी गायिका पद्मश्री डॉ. सोमा घोष ने विवि के रजिस्ट्रार प्रो. अरुण कुमार सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा, स्पंदन के संयोजक प्रो. बी. सी. कापड़ी और आयोजन समिति के सदस्यों की मौजूदगी में स्पंदन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर डॉ सोमा घोष ने शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी विश्वविद्यालय के संस्थापक भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के महान योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन साधना का समय है। यह सीखने के लिए होता है। जीवन में यह अवसर दुबारा नहीं मिलता। इस लिए विद्यार्थी जितना ज्यादा हो उतना सीखने का प्रयास करें।

इसके बाद उन्होंने महोत्सव की शुरुआत में “कितनी मिलती है तेरी तस्वीर ख़ुदा से की दमदार प्रस्तुति की। डॉ. सोमा घोष ने अपने भावपूर्ण शास्त्रीय गायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्पंदन के पहले दिन की शुरुआत विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संस्थानों में विभिन्न साहित्यिक और रचनात्मक कार्यक्रमों के साथ हुई।

शताब्दी कृषि भवन में हिंदी कविता की हुई प्रतियोगिता

स्पदंन में परिसर स्थित शताब्दी कृषि भवन में हिन्दी कविता की प्रतियोगिता हुई। जिसमें 22 विद्यार्थियों ने भाग लिया। बचपन, प्रकृति, यात्रा, यादें, और नदियाँ विषय पर छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और नवीन काव्य शैलियों की प्रस्तुति दी। डॉ. अस्मिता तिवारी (हिंदी विभाग, डी.ए.वी.), डॉ. श्रुति मिश्रा (दर्शनशास्त्र विभाग) और प्रो. आशीष लतारे (कृषि विज्ञान संस्थान) इस प्रतियोगिता के निर्णायक रहे। इसी तरह शारीरिक शिक्षा विभाग का डॉ. करण सिंह हॉल बौद्धिक चर्चा का केंद्र बन गया, जिसमें अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत में निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। कुल 43 छात्रों ने भागीदारी की। इसी क्रम में के.एन. उडुपा सभागार में वैश्वीकरण स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभकारी है विषय पर एक जोशीली बहस हुई। कुल 21 छात्रों ने अपने अनूठे दृष्टिकोण प्रस्तुत किए, विचारों के गतिशील आदान-प्रदान में शामिल हुए और अपनी आलोचनात्मक सोच क्षमताओं का प्रदर्शन किया। कुछ छात्रों ने वैश्वीकरण को 'सिंधु घाटी सभ्यता' से जोड़ा, जबकि उनमें से कुछ ने अपने रुख को मूल्य जोड़ने के लिए 'वोकल फॉर लोकल' और 'मेक इन इंडिया' जैसे विषयों की ओर इशारा किया।

ऑन-द-स्पॉट फ़ोटोग्राफ़ी

दृश्य कला संकाय के प्रदर्शनी हॉल को ऑन-द-स्पॉट फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता के लिए एक रचनात्मक स्टूडियो में बदल दिया गया। 23 प्रतिभागियों को अपनी कलात्मक दृष्टि और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन करते हुए प्रकाश और छाया के सार को कैप्चर करने की चुनौती दी गई।

झांकियों में दिया अपनी संस्कृति का संदेश

स्पंदन में शोभायात्रा के दौरान विद्यार्थियों ने नृत्य, संगीत और रंग-बिरंगे झांकियों के माध्यम से अपनी संस्कृति और सामाजिक संदेशों को प्रस्तुत किया। इस यात्रा में 23 टीमों ने हिस्सा लिया। इसमें महिला महाविद्यालय ने शिक्षित भारत, विकसित भारत, बसंत कन्या महाविद्यालय ने भारत: एक विश्वगुरु, वसंत कॉलेज ऑफ वूमेन ने विकास के पथ पर अग्रसर भारत, और राजीव गांधी साउथ कैंपस ने गांव का विकास, देश का विकास को अपने झांकियों का विषय बनाया।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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