उत्तर बंगाल की उपेक्षा पर भाजपा का हमला, डॉ. सुकांत मजूमदार ने राज्य सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
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- Nov 20, 2025
कोलकाता, 20 नवंबर (हि. स.)। भाजपा पश्चिम बंगाल की ओर से गुरुवार को जारी एक प्रेस वार्ता में केंद्रीय शिक्षा, विदेश एवं पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने राज्य सरकार पर उत्तर बंगाल की लगातार उपेक्षा, केंद्र के खिलाफ गलत प्रचार, और विकास परियोजनाओं में बाधा डालने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए।
डॉ. मजूमदार ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार यह कह रही हैं कि केंद्र ने उत्तर बंगाल में आए बाढ़ के दौरान राहत राशि रोक दी है, जबकि यह पूरी तरह भ्रामक है। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के कुल 3.60 लाख करोड़ रुपये बजट में से उत्तर बंगाल के लिए केवल 861 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो राज्य बजट का 0.23 प्रतिशत है, जबकि यहां की जनसंख्या 18 प्रतिशत है। इसके उलट मदरसा बोर्ड व अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 5531 करोड़ रुपये का भारी-भरकम आवंटन किया गया है। उनके अनुसार, “विकास के नाम पर उत्तर बंगाल के लोगों को गुमराह किया जा रहा है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब भाजपा सांसद निशीथ प्रमाणिक ने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के लिए 700 करोड़ रुपये की परियोजना लाई, तब भी मुख्यमंत्री ने स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराई। यही स्थिति बॉर्डर फेंसिंग, बागडोगरा एयरपोर्ट विस्तार और खड़गपुर–सिलीगुड़ी आर्थिक गलियारे जैसी परियोजनाओं पर भी बनी हुई है। बागडोगरा एयरपोर्ट के लिए केंद्र ने 1550 करोड़ रुपये आवंटित किए, लेकिन कार्य अटका पड़ा है।
डॉ. मजूमदार ने केंद्र द्वारा एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को दिए गए फंड का विस्तृत ब्यौरा भी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ के लिए 2020–21 में 808.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो 2024–25 में बढ़कर 936 करोड़ रुपये हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अपने हिस्से का 25 प्रतिशत फंड समय पर जारी नहीं करती, जिससे राहत कार्यों में देरी होती है।
उत्तर बंगाल के चाय बागानों की बदहाली पर भी उन्होंने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में 276 बड़े और 5000 छोटे चाय बागान हैं, लेकिन 42 बागानों में कोई स्कूल नहीं है। करीब 17 प्रतिशत घरों में बिजली नहीं पहुंची है, और लगभग 19 प्रतिशत घरों की स्थिति बेहद जर्जर है। केवल 60 प्रतिशत चाय बागानों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा सेंटर तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि केंद्र ने मालदह मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर के लिए राशि जारी कर दी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों के लिए भूमि-पत्र न मिलने के मुद्दे पर भी उन्होंने राज्य सरकार को घेरा। उनका कहना था कि राज्य सरकार चाय बागान मालिकों से 30 प्रतिशत जमीन पर्यटन गतिविधियों के लिए मांगती है, लेकिन राजवंशी, गोरखा और आदिवासी समुदाय के लोगों को घर बनाने के लिए स्थायी पट्टा नहीं देती।
गोरखाओं की दीर्घकालिक राजनीतिक मांगों पर भी उन्होंने टिप्पणी की। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री समाधान चाहने के बजाय जीटीए को धन देकर भ्रष्टाचार का नया रास्ता खोल रही हैं, जबकि केंद्र त्रिपक्षीय वार्ता के माध्यम से स्थायी समाधान चाहता है। उन्होंने बताया कि कूचबिहार और रायगंज मेडिकल कॉलेज के विकास के लिए केंद्र ने 113.40 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वहीं, जल जीवन मिशन के तहत नागराकाटा के होप टी एस्टेट में 850 परिवार जल संकट से जूझ रहे हैं।
सिलीगुड़ी के एलिवेटेड रोड (3500 करोड़ रुपये परियोजना) और करोला ब्रिज के अधूरे निर्माण (2013 से लंबित) पर भी उन्होंने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सीमा पर 500 किमी क्षेत्र में फेंसिंग के लिए भी राज्य सरकार ने अब तक जमीन उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे सुरक्षा संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।
राजनीतिक हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि माथाभांगा में बीएलओ को जूतों की माला पहनाई गई, और नागराकाटा में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और शंकर घोष पर हमला किया गया। उत्तर दिनाजपुर में चार लाख 91 हजार 725 फर्जी जॉब कार्ड बनाए जाने का आरोप भी उन्होंने लगाया।
अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उत्तर बंगाल के विकास की राह में स्पीड ब्रेकर बन गई है। आने वाले चुनाव में उत्तर बंगाल के लोग भाजपा के साथ होंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय



