बीटीसी सीईएम प्रमोद बोडो ने सामूहिक विकास और सामुदायिक भागीदारी का किया आह्वान

बीटीसी प्रमुख प्रमोद बोरो ने सामूहिक विकास और सामुदायिक भागीदारी का किया आह्वान।

कोकराझार (असम), 23 सितंबर (हि.स.)। हमारा मुख्य संकल्प अपने क्षेत्र में समग्र विकास को बढ़ावा देना है। इसे प्राप्त करने के लिए हमें समावेशिता को प्राथमिकता देनी होगी और समुदाय की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना होगा। यह आवश्यक है कि हम अपने नागरिकों के साथ जुड़ें, उनकी जरूरतों को समझें और उन्हें सशक्त बनाएं। चलिए मिलकर काम करें, विचार साझा करें और बीटीआर के एक समृद्ध भविष्य के लिए मजबूत नींव बनाएं।

ये बातें आज बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईएम) प्रमोद बोडो ने आज कोकराझार स्थित बीटीसी सचिवालय में बीटीआर परिषद सरकार के विभिन्न विभागों और मिशनों के अध्यक्षों के साथ एक समीक्षा बैठक के दौरान कही।

अपने संबोधन में बोडो ने सरकारी योजनाओं और मिशनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अध्यक्षों से आग्रह किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि ये पहल केवल कागजी नीतियां न बनें, बल्कि लोगों के लिए वास्तविक लाभ में तब्दील हों। उन्होंने कहा, हमें अपनी सेवाओं की दक्षता को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। हमारे नागरिकों की आकांक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं, और यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी अपेक्षाओं को पूरा करें और उससे आगे बढ़ें। इसके लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और समुदाय के साथ सक्रिय जुड़ाव की आवश्यकता है।

बीटीसी सीईएम बोडो ने विभिन्न विभागों के बीच सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया, यह कहते हुए कि केवल एकता और साझा दृष्टिकोण के माध्यम से ही वे क्षेत्र की विविध चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने अध्यक्षों को अपनी टीमों के भीतर नवाचार और उत्तरदायित्व की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया, ताकि समुदाय की बदलती जरूरतों के अनुकूल काम किया जा सके। उन्होंने कहा, हम मिलकर एक प्रगतिशील बीटीआर का निर्माण कर सकते हैं जो हमारे लोगों की आशाओं और सपनों को प्रतिबिंबित करता है।

बैठक के दौरान, बीटीसी प्रमुख ने प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया, जिनमें कौशल विकास, सामुदायिक प्रसन्नता, खाद्य प्रसंस्करण, छात्र कल्याण, कलाकारों, शिल्पकारों और खेल हस्तियों की पहचान, सूक्ष्म वित्त, महिला सशक्तिकरण, पोषण, पारंपरिक हस्तशिल्प, खाद्य उत्पादन और विपणन, पारंपरिक त्योहार, पेंशन और जन शिकायतें, वृद्धजनों का कल्याण, वित्तीय समावेशन, युवाओं के लिए रोजगार और प्लेसमेंट की पहल आदि शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / किशोर मिश्रा

   

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