बाबा भलकू की स्मृति में चली साहित्यिक रेल, गूंजीं कविताएं

शिमला, 12 अप्रैल (हि.स.)। कालका-शिमला हैरिटेज रेलवे ट्रैक एक बार फिर ऐतिहासिक बना जब उस पर साहित्य, संस्कृति और पर्यावरण की महक बिखेरी गई। हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच की ओर से आयोजित दो दिवसीय बाबा भलकू स्मृति साहित्य रेल यात्रा शनिवार को शिमला रेलवे स्टेशन से रवाना हुई। इस विशेष यात्रा में देशभर से आए 32 नामचीन साहित्यकार, लेखक और कवि शामिल हुए।

रेल यात्रा का शुभारंभ प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री धनीराम शांडिल ने किया। इस दौरान शिमला रेलवे स्टेशन पर लेखकों का पारंपरिक तौर पर स्वागत किया गया। मंत्री शांडिल ने कहा कि बाबा भलकू न केवल हिमाचल के गौरव हैं, बल्कि देश की रेलवे विरासत का अनमोल हिस्सा भी हैं। उन्होंने कहा कि जब अंग्रेज इंजीनियर बड़ोग सुरंग बनाने में असफल रहे, तब बाबा भलकू ने अपनी छड़ी के सहारे सुरंग की दिशा सुझाई और इस रेलवे लाइन का सपना साकार किया।

साहित्य और समाज को जोड़ती यात्रा

इस यात्रा में लेखकों ने चलती ट्रेन में कविता पाठ, संगोष्ठियों और संवाद के जरिए सामाजिक सरोकारों की गूंज को जनमानस तक पहुंचाया। मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने बताया कि इस साहित्यिक रेल यात्रा का उद्देश्य बाबा भलकू को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ साहित्य के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान नशामुक्ति और प्रकृति से जुड़ाव जैसे अहम मुद्दों पर रचनात्मक प्रस्तुतियां दी जा रही हैं।

बड़ोग तक साहित्य का सफर

पहले दिन लेखकों ने शिमला से बड़ोग तक की रेल यात्रा की और बाद दोपहर वापस शिमला लौटे। यात्रा के दूसरे दिन सभी साहित्यकार बस द्वारा कुफरी और चायल होते हुए बाबा भलकू के पुश्तैनी गांव झाझा पहुंचेंगे, जहां एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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