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झुंझुनू, 13 फ़रवरी (हि.स.)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने झुंझुनू जिले के चुडैला स्थित श्री जगदीश प्रसाद झाबरमल टिबड़ेवाल यूनिवर्सिटी (जेजेटीयू) पर एक्शन लिया है। यूनिवर्सिटी के पीएचडी कोर्स पर अगले 5 साल तक के लिए बैन लगा दिया है। साथ ही यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट को भी तत्काल प्रभाव से पीएचडी छात्रों का नामांकन बंद करने के निर्देश दिए है। यूजीसी को लगातार जेजेटीयू के पीएचडी कोर्स में अनियमितताओं को लेकर शिकायतें मिल रही थी। इसके बाद बुधवार 12 फरवरी को यूजीसी सचिव मनीष जोशी की ओर से आदेश जारी किए गए। इसके तहत एक स्टैंडिंग कमेटी का गठन कर जेजेटीयू की जांच की गई।
जेजेटीयू को नोटिस जारी किया गया जिसमें पीएचडी कोर्स में सामने आई धांधली को लेकर सवाल भी पूछे गए। साथ ही पूछा गया कि वे यूजीसी पीएचडी विनियमों के प्रावधानों का पालन करने में विफल क्यों रहे? इसके बावजूद विवि प्रशासन की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर यूजीसी ने कड़ा एक्शन लिया है। यूजीसी ने आदेश में स्टूडेंट्स को भी हिदायत दी है कि वे पीएचडी कोर्स के लिए इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं लें। कार्रवाई पीएचडी विनियमों के प्रावधानों और पीएचडी डिग्री प्रदान करने के शैक्षणिक मानदंडों का पालन नहीं करने पर की गई है।
स्टैंडिंग कमेटी कि सिफारिश के बाद यूजीसी ने जेजेटीयू पर अगले पांच साल (शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक) पीएचडी कोर्स पर बैन लगा दिया है। साथ ही तत्काल प्रभाव से यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट को पीएचडी छात्रों का नामांकन(एनरॉलमेंट) बंद करने के निर्देश दिए है। वर्ष 2009 में एसजेजेटी यूनिवर्सिटी की शुरुआत हुई थी, जिसका कैंपस करीब 30 एकड़ में फैला हुआ है। यूनिवर्सिटी यूजी, पीजी और पीएचडी समेत मेडिकल कोर्स ऑफर करती है।
जेजेटी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. देवेन्द्र सिंह ढूल का कहना है कि हमने हमारा पक्ष यूजीसी की स्टैंडिंग कमेटी के सामने रखा था। लेकिन हमारे कुछ पक्ष को कंसीडर किया जबकि कुछ को कंसीडर नहीं किया गया। हम फिर से मर्सी अपील करेंगे। हमारी यूनिवर्सिटी किसी भी फर्जी तरीके के कामों में लिप्त नहीं पाई गई। हमारा पूरा प्रयास है कि यूनिवर्सिटी और उसके स्टूडेंट्स की गरिमा को बनाए रखेंगे। इससे पहले यूजीसी ने झुंझुनूं जिले की सिंघानिया यूनिवर्सिटी के पीएचडी कोर्स पर भी बैन लगा दिया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / रमेश