त्योहारों पर मिलावटी खाद्य पदार्थों से रहें सतर्क : सतीश राय
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- Oct 17, 2025
--मिलावटी खाने से शरीर पर होता है बुरा असर
प्रयागराज, 17 अक्टूबर (हि.स)। जाड़े का मौसम विभिन्न त्योहारों के साथ शुरू होता है। इस समय दीपावली व छठ के तैयारियों की धूम है। त्योहारों पर हमारे भोजन स्वादिष्ट पकवान और मिष्ठान से भरपूर रहते हैं। दीपावली सजावट और खानपान से जुड़ा त्यौहार है। ऐसे में खराब गुणवत्ता वाले भोजन से हमारी सेहत के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।
यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान मधुबन बिहार स्थित प्रयागराज रेकी केंद्र पर जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने आज शुक्रवार को सुबह निःशुल्क स्पर्श-ध्यान कार्यक्रम के पश्चात कहा।
--ठंड में ऊर्जा की होती है ज्यादा जरूरत
उन्होंने कहा कि ठंड बढ़ती है तो शरीर को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। जाड़े में ठंड से बचने और ऊर्जा प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय है, जमकर भोजन करना। बशर्ते वह भोजन नकली व मिलावटी ना हो। त्योहार पर मिलावटी खाद्य पदार्थ जैसे दूध, खोया, पनीर, मिठाई, तेल, घी सहित अन्य सामान आसानी से बाजार में उपलब्ध हो जाता है। जिन्हें खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। अब तो बीमार पड़ने पर बाजार में उपलब्ध दवाएं भी शुद्ध नहीं है।
उन्होंने बताया कि FSDA की जांच में 858 अंग्रेजी दवाइयों के सैंपल फेल पाए गए। जिसमें नक़ली दवाई 115, खराब गुणवत्ता वाली दवाई 652 एवं फायदा न पहुंचाने वाली दवाई 91 हैं। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए अन्य उपायों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
--सर्दियों में रोम छिद्र सिकुड़ कर हो जाते हैं कम
सतीश राय ने कहा कि सर्दियों में शरीर के रोम छिद्र सिकुड़ कर कम हो जाती है। जिस कारण वाष्पीकरण की कमी से शरीर में जरूरी ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में शरीर को गर्म रखने का उपाय करना चाहिए, गर्माहट से त्वचा फैलती है। शरीर में नेचुरल तरीके से गर्माहट लाने का सबसे सरल उपाय है एक्सरसाइज और स्पर्श-ध्यान।
--ब्लड सर्कुलेशन कम रहने से लगती है ज्यादा ठंड
सतीश राय ने कहा कि जिन लोगों का ब्लड सर्कुलेशन कम रहता है, उन लोगों को औरों की अपेक्षा ठंड ज्यादा लगती है। उन लोगों को स्पर्श ध्यान करने से लाभ होगा। स्पर्श ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाने से सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, गले में खराश, कफ की समस्या, हाई एवं लो ब्लड प्रेशर से बचाव होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र



