अधिकारों से पहले भारतीय संस्कारों में निहित कर्तव्यों को समझें और पालन करें : स्वांत रंजन
- Admin Admin
- Mar 02, 2025
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उदयपुर, 2 मार्च (हि.स.)। आचार्य विष्णु ने कहा था कि लक्ष्य बड़ा हो, उसके लिए मेहनत भी बड़ी हो, हृदय मृदु हो और वाणी में माधुर्य हो। इसी बात को दोहराते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा कि संघ समाज को संस्कारित करने, उसे दिशा देने और श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करने के लिए सतत प्रयासरत है। संघ की विचारधारा और राष्ट्र के प्रति इसकी प्रतिबद्धता आने वाले वर्षों में और भी अधिक प्रभावी होगी, जिससे संपूर्ण समाज सशक्त और संगठित बन सकेगा।
वे रविवार को यहां आरएनटी मेडिकल कॉलेज के गट्टानी हॉल में नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) के 44वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने संघ की 1925 से शुरू हुई यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि डॉक्टर हेडगेवार जी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना एक विचारधारा को लेकर की गई, जिसमें यह भाव निहित था कि भारत एक प्राचीन राष्ट्र है, हिंदू राष्ट्र है और हम सभी भारतमाता की संतान हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का लक्ष्य समाज को जागरूक करना और उसकी गतिविधियों से अवगत कराना है। संघ की विचारधारा केवल संगठन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक 'मिट्टी का विचार' है, जो राष्ट्र की भावना से ओतप्रोत है। स्वतंत्रता के पश्चात गांधी जी की हत्या के कारण संघ को अनावश्यक दोषी ठहराया गया, जबकि संघ सदैव राष्ट्रहित में समर्पित रहा है।
संघ का मानना है कि परिवार शिक्षित हो, संस्कारित हो, तभी समाज भी संस्कारित बन सकेगा। हमारा परिवार केवल एक इकाई नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज का आधार है। आज के समय में पर्यावरण संरक्षण भी समाज की एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी बन चुकी है। प्लास्टिक का उपयोग कम करना और पर्यावरण को संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति, हमारा धर्म और हमारी परंपराएं हमें आत्मबोध कराती हैं। इसी के साथ, एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए नागरिकों का अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है। कानून को तोड़ना फैशन नहीं होना चाहिए, बल्कि कानून का पालन करना हमारा स्वाभिमान बनना चाहिए।
पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि औरों के लिए जीना ही वास्तव में जीना है। यही भाव एनएमओ के कार्यकर्ताओं ने चरितार्थ करने का प्रयास किया है। चिकित्सा सेवा केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक महान कर्म है। भगवान के बाद यदि किसी को सबसे अधिक सम्मान प्राप्त होता है, तो वह ऑपरेशन करने वाले चिकित्सकों को मिलता है।
उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंतर्गत एनएमओ का कार्य प्रारंभ हुआ, तब समाज में सेवा कार्यों की दिशा में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। वनवासी कल्याण आश्रम के सहयोग से, एनएमओ ने आदिवासी और सुदूर क्षेत्रों में सेवा के कार्य प्रारंभ किए। दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बीमारी से बचाने के लिए पहले से ही प्रयास करना एक सार्थक पहल है। उदयपुर मेडिकल कॉलेज संपूर्ण देश के मेडिकल कॉलेजों के लिए एक प्रेरणा का स्वरूप है।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को केवल पैसों की दृष्टि से नहीं, बल्कि मानवीय सेवा की भावना से उपचार करना चाहिए। चिकित्सा एक सेवा का माध्यम है और इसे उसी उद्देश्य से अपनाना चाहिए। वे स्वयं एनएमओ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ एक सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं और आज भी उनके साथ एक कार्यकर्ता के रूप में उपस्थित हैं। महामारी के दौरान जिस तरह से एनएमओ के सदस्यों ने सेवा कार्य किया, वह अनुकरणीय है।
उन्होंने कहा कि सौहार्दपूर्ण व्यवहार और प्रेम से किया गया उपचार आधे रोग को पहले ही समाप्त कर देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेडिकल क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। उन्होंने हर जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का लक्ष्य रखा और उसे पूरा भी किया। जब उन्होंने यह अभियान शुरू किया, तब देश में केवल 40,000 डॉक्टर थे, लेकिन आज 1,20,000 डॉक्टर उपलब्ध हैं। यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की एक बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने प्रधानमंत्री की 'आयुष्मान भारत' योजना ने देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई है। इस सेवा के माध्यम से संपूर्ण देश की सेवा का संकल्प लिया जाना चाहिए। हमें मरीजों का उपचार केवल एक पेशे के रूप में नहीं, बल्कि सेवा और समर्पण की भावना के साथ करना चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि स्वास्थ्य सेवा के इस पवित्र कार्य को और अधिक व्यापक बनाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति स्वस्थ और सशक्त भारत की परिकल्पना को साकार कर सके।
कॉन्फ्रेंस के चेयरपर्सन डॉ राजेश मलिक एवं सचिव नरेंद्र जोशी ने बताया कि कार्यक्रम में इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख व एनएमओ के पालक रमेश पप्पा, एनएमओ के अखिल भारतीय अध्यक्ष डॉ. सी. बी. त्रिपाठी, एनएमओ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री डॉ. पुनीत अग्रवाल, राष्ट्रीय सचिव डॉ. अश्विनी टंडन, कॉन्फ्रेंस के चेयरपर्सन डॉ राजेश मलिक, चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष डॉ रामस्वरूप मालव भी मंचासीन अतिथि थे।
कार्यक्रम में प्रमुख उपस्थिति के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख श्रीवर्धन, चित्तौड़ प्रांत के प्रांत प्रचारक मुरलीधर सह प्रांत प्रचारक धर्मेंद्र, विधायक ताराचंद जैन हरीश राजानी हेमेंद्र श्रीमाली विभाग प्रचारक धनराज, को-चैयरमैन डॉ. राहुल जैन, आर्गेनाइजिंग सेकेट्री डॉ. नरेंद्र जोशी, डॉ. देवेन्द्र सरीन, डॉ गिरीश शर्मा, डॉ. रमेश अग्रवाल, डॉ. धनंजय अग्रवाल, डॉ. डीके शर्मा, प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर, अधीक्षक आर एल सुमन, उपस्थित थे।
इससे पहले डॉ मालिक ने आभार में अपने सभी सहयोगीयो अतिथियों व विद्यार्थियों के साथ साथ विशेष भामाशाह की उदारता और महत्वपूर्ण सहयोग से कार्यक्रम सफल हो पाया जिनमें अनंता मेडिकल कॉलेज, सनराइज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, पेसिफिक मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग इंस्टीट्यूट, नारायण सेवा, डॉ लाखन पोसवाल आदि प्रमुख रहे ओर साथ ही अपनी उदयपुर एनएमओ की टीम जिसमें आयोजन सह सचिव भगवान बिश्नोई, डॉ भुवनेश चंपावत, डॉ मेघवाल, परमानंद, स्टेट सेकेट्री डॉ. प्रद्युम्न गोयल, जोनल प्रेसिडेंट डॉ. सुशील भाटी और जोनल सेकेट्री डॉ. अनिल विश्नोई,, डॉ निलेश जैन, डॉ गोखरू, डॉ मोहित पाल सिंह, डॉ सुशील साहू, डॉ तरुण , डॉ आकाश, डॉ चड्ढा, डॉ साक्षी मलिक आदि प्रमुख रहे। आरंभ में स्वागत परिचय एनएमओ के चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष डॉ रामस्वरूप मालव ने दिया। संचालन डॉ. नरेन्द्र जोशी, डॉ राजवीर सिंह, डॉ निलेश जैन ने किया।
इससे पूर्व, शनिवार रात को आयोजित सांस्कृतिक संध्या में कला और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. साक्षी मलिक के नेतृत्व में हुई इस संध्या में दर्शकों ने विभिन्न लोकनृत्यों और शास्त्रीय प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया। संचालन की बागडोर डॉ. उपवन पंड्या ने संभाली।
कार्यक्रम में कालबेलिया नृत्य, पधारो म्हारा देश जैसे राजस्थानी लोकगीतों की प्रस्तुतियों ने समां बांधा। विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, जिसमें प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया।
प्रतियोगिता के विजेता के रूप में प्रथम स्थान गुजरात प्रांत की दिया जानता ने महाभारत के चीरहरण प्रसंग पर सचित्रण कत्थक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति पर पाया। इसी तरह, द्वितीय स्थान पर उत्तराखंड से रिद्धि भट्ट व उनका समूह रहा जिन्होंने नृत्य नाटिका प्रस्तुत की।
तृतीय स्थान जम्मू-कश्मीर की मीतिका शर्मा व उनके समूह ने डोगरी नृत्य की सुंदर प्रस्तुति पर पाया। उत्तराखंड के मयंक ओजस्वी ने श्री गणेश पर शास्त्रीय नृत्य कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ. सीमा मलिक, डॉ. पामिल मोदी (संगीत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय) और डॉ. शिवे शर्मा शामिल रहे। सभी विजेताओं को सम्मानित किया गया और उनकी कलात्मक प्रतिभा को सराहा गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता