
कछार (असम), 18 मार्च (हि.स.)। असम में बंगाली और असमिया भाषाभाषी समुदायों के बीच रही प्रतिस्पर्धा अब परस्पर सम्मान में बदल गई है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने इसका श्रेय बुनियादी ढांचे के विकास और दोनों भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को दिया है।
मंगलवार को सिलचर में देशभक्त तरुण राम फूकन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के वार्षिकोत्सव समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा, पहले कई कारणों से असम में बंगाली और असमिया भाषाओं के बीच प्रतिस्पर्धा थी। लेकिन हाल के वर्षों में यह प्रतिस्पर्धा समाप्त होकर आपसी सम्मान में बदल गई है, जिससे दोनों समुदाय अपनी-अपनी भाषाओं का सहजता से उपयोग कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने वर्ष 2014 के बाद असम के बराक और ब्रह्मपुत्र घाटी के बीच संबंधों को मजबूत करने वाले परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने मीटर गेज रेलवे को ब्रॉड गेज में बदलने और बेहतर सड़क संपर्क को इस बदलाव का एक प्रमुख कारक बताया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा असमिया और बंगाली दोनों को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के फैसले को भी मुख्यमंत्री ने इस बदलाव की एक अहम वजह बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इस निर्णय के बाद इन भाषाओं की उत्पत्ति को लेकर बौद्धिक वर्ग में चर्चाओं की नई दिशा मिली है और दोनों भाषाओं के बीच प्रतिस्पर्धा कम हुई है।
इससे पहले, डॉ. सरमा ने एक ट्वीट में भी इस बदलाव को रेखांकित करते हुए लिखा था कि अब वह दौर खत्म हो गया जब ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी के लोगों के बीच असंतोष था। हमारी सरकार ने दोनों क्षेत्रों में समान विकास सुनिश्चित किया है और असमिया एवं बांग्ला दोनों को समान सम्मान मिला है।
आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने शिक्षा के आधुनिकीकरण पर जोर देते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और औद्योगिक कौशल से जुड़े नए पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा भी की।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश