(अपडेट)भांकरोटा एलपीजी अग्निकांड मामला: हादसे में झुलसे एक और व्यक्ति की मौत
- Admin Admin
- Dec 28, 2024
जयपुर, 28 दिसंबर (हि.स.)। अजमेर रोड पर भांकरोटा थाना इलाके में एलपीजी ब्लास्ट में झुलसे एक और व्यक्ति की शनिवार को मौत हो गई। पिछले आठ दिन में इस भीषण हादसे में बीस लोगों की मौत हो चुकी हैं। इसमें एक रिटायर्ड आईएएस करणी सिंह भी शामिल हैं। हादसे में झुलसे आठ और लोग अब भी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सवाई मानसिंह अस्पताल के बर्न यूनिट में एडमिट पीड़ित 50 फीसदी के करीब झुलसे हुए हैं। जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह 6.15 बजे अजमेर निवासी सलीम की इलाज के दौरान मौत हुई। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 20 दिसंबर को जयपुर-अजमेर हाईवे पर एलपीजी सिलेंडर ब्लास्ट हादसे में 27 लोग 80 फीसदी तक झुलस गए थे। इनमें सबसे अधिक संख्या 50 से 55 फीसदी तक झुलसे लोगों की थी। जानकारी के अनुसार सलीम भी करीब 55 फीसदी झुलस गया था। सलीम का भाई उसे हॉस्पिटल लाने के दौरान से उसके साथ था। उसे उम्मीद थी कि आठ दिन बाद जरूर उसका भाई बच जाएगा, लेकिन शनिवार सुबह डॉक्टर्स ने उसे मौत की जानकारी दी। एसएमएस के बर्न स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश जैन ने बताया कि टीम घटना के बाद से ही घायल मरीजों के इलाज में लगी है। हर सम्भव कोशिश की जा रही है कि मरीजों की रिकवरी का रेट बढ़े। डॉक्टर्स की टीम अच्छे से अच्छा उपचार देने का प्रयास कर रही है।
चार लोग जल गए थे जिंदा
इस हादसे में 4 लोग तो मौके पर ही जिंदा जल गए थे। 6 लोगों ने उसी दिन सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ा था। एक मौत जयपुरिया हॉस्पिटल में हुई थी। हादसा इतना भीषण था कि 5 शवों की पहचान डीएनए सैंपल से की गई। इनमें पूर्व आईएएस करणी सिंह भी शामिल थे। बेटी से लिए सैंपल से उनकी बॉडी की पहचान हुई। इस घटना में घायल 15 लोगों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया है। वहीं, डॉक्टर्स का कहना है कि डीप बर्न के कारण बहुत से लोगों के हेल्दी टिश्यू जल गए हैं। कई पीड़ितों के लीवर-किडनी पर भी असर हुआ। इसका प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है।
करीब 500 मीटर के एरिया में फैल गई थी गैस
एलपीजी टैंकर के नोजल फटने से गैस भांकरोटा में करीब 500 मीटर एरिया तक फैल गई। गाड़ियों में स्पार्क और अलग-अलग कारणों से वहां मौजूद 40 से ज्यादा गाड़ियां उसकी चपेट में आ गई थी। टैंकर के ठीक पीछे चल रही एक स्लीपर बस और हाईवे किनारे मौजूद पाइप फैक्ट्री भी जल गई थी। एक्सीडेंट की वजह से बस का दरवाजा एक ट्रक से चिपक गया। इस कारण उसमें सवार 34 लोगों को बाहर निकलने की जगह ही नहीं मिली। बड़ी मुश्किल से ड्राइवर वाले गेट से लोगों को बाहर निकाला गया। आग बुझने के बाद कई शवों को पोटली में डालकर अस्पताल ले जाया गया था। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने हादसे के करीब एक हफ्ते बाद शुक्रवार को एनएचएआई के रीजनल अधिकारी दिनेश चतुर्वेदी को हटा दिया है। उनका ट्रांसफर दिल्ली किया गया है। उनकी जगह अब्दुल बासिल को लगाया है। हादसे के कारणों को लेकर अब तब जिम्मेदार विभाग एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। इमनें एनएचएआई से लेकर पुलिस व दूसरे विभाग शामिल हैं।
एफएसएल टीम ने डीसीपी पश्चिम को सौंपी हादसे की जांच रिपोर्ट
जांच में बताया गया कि हादसे वाली सुबह एलपीजी गैस टैंकर की ट्रक से भिड़ंत हुई। भिड़ंत इतनी तेज थी कि गैस टैंकर के तीनों नोजल टूट गए। हादसे के बाद जाम लग गया। गाड़ियां मौके पर ही रुक गई। लोगों को जैसे ही गैस फैलने का आभास हुआ, सभी अपनी गाड़ियों को स्टार्ट कर वहां से निकलने की कोशिश करने लगे। इस बीच गाड़ियों के टकराने, इग्निशन के स्पार्क या सड़क पर गाड़ियों के रगड़ से पैदा चिंगारी से आसपास जमीन से 4 से 5 फीट की ऊंचाई पर हवा में तैर रही गैस में आग लग गई। जितनी दूरी तक एलपीजी गैस फैली थी, वहां तक पलक झपकते ही आग की लपटें पहुंच गई। गैस के विस्फोट के दायरे में जो कोई भी आया वह बुरी तरह झुलस गया। हादसे में मौके पर ही चार लोगों ने दम तोड़ दिया था। फॉरेंसिक टीम की क्राइम यूनिट के एडिशनल डायरेक्टर और स्पेशलिस्ट हादसे के ढाई घंटे बाद मौके पर पहुंच गए थे।
एफएसएल जयपुर के निदेशक डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि टीम ने मौके पर पहुंचकर हादसे के कारणों की खोजबीन शुरू की। टीम जब मौके पर पहुंची तो वहां के हालात देखकर उनके भी रोंगटे खड़े हो गए। गैस टैंकर के विस्फोट से आस-पास जाम में फंसे वाहनों के शीशे टूट गए। इंजन फेल हो गया। इससे गैस वाहनों के अंदर तक फैल गई। कुछ लोग जान बचाने के लिए गाड़ियों के शीशे तोड़कर भागे, लेकिन फिर भी बच नहीं पाए। यही कारण है कि कई लोगों की गाड़ियां और उनके शव काफी दूर मिले हैं।
फॉरेंसिक टीम ने बताया कि स्लीपर बस, कार, ट्रक और केबिन वाले वाहनों में लोग सीटों पर ही जलकर चिपक गए थे। उन्हें सीट से उठने तक का मौका नहीं मिला। लोगों के कटे फटे शरीर के अंग यहां वहां पड़े थे। बस की खिड़कियों में शरीर के हिस्से फंसे हुए थे। स्लीपर बस का लॉक भी अटक गया था। दरवाजा नहीं खुलने से ज्यादातर लोग बस के अंदर ही जल गए।
70 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार दौड़ रहा था ट्रक
रिपोर्ट से सामने आया है कि गैस टैंकर के ड्राइवर ने तेज गति से डीपीएस कट के पास खतरनाक तरीके से यू-टर्न लिया। ड्राइवर को लगा कि वह समय रहते रिंग रोड की ओर बढ़ जाएगा। वहीं, जयपुर की तरफ से आ रहा ट्रक भी तेज गति से चल रहा था। दोनों गाड़ियों के बीच टक्कर के बाद वाहनों पर बने गहरे डेंट और मौके की जांच से स्पष्ट हुआ कि टक्कर मारने वाले ट्रक की गति कम से कम 70 किमी प्रति घंटा थी। तेज स्पीड में ट्रक ड्राइवर सामने से अचानक आए गैस टैंकर को देखकर ब्रेक लगाने में नाकाम रहा।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश