भुंडा महायज्ञ : बेड़ा डालने वाली दिव्य रस्सी टूटी, 40 साल बाद हो रहा आयोजन
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- Jan 04, 2025
शिमला, 04 जनवरी (हि.स.)। शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल में 40 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भुंडा महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इस महायज्ञ को क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है। इस ऐतिहासिक आयोजन में लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचकर अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहे हैं।
भुंडा महायज्ञ का मुख्य आकर्षण बेड़ा द्वारा रस्सी के सहारे गहरी खाई को पार करना है। यह परंपरा अद्भुत साहस और श्रद्धा का प्रतीक है। महायज्ञ के आयोजन के तीसरे दिन शनिवार को इस रस्म को निभाने का दिन निर्धारित किया गया। पुलिस की मौजूदगी में श्रद्धालु इस अद्वितीय और रोमांचक रस्म को देखने के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए।
रस्सी टूटने से रुकी रस्म
रस्म के दौरान उपयोग की जाने वाली मूंज की रस्सी अचानक टूट गई जिससे इस रस्म को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा। यह घटना उस समय हुई जब बेड़ा (जेड़ी) सूरत राम रस्सी पर चढ़कर खाई पार करने की तैयारी कर रहे थे। मूंज की रस्सी पारंपरिक तरीकों से तैयार की जाती है और इस रस्म के लिए इसका उपयोग एक लंबी परंपरा रही है। शनिवार को परंपरा निभाने से पहले ये दिव्य रस्सी अचानक टूट गई।
आयोजकों ने बताया कि रस्सी के टूटने के बाद तुरंत उसकी मरम्मत का काम शुरू किया गया। विशेषज्ञों की टीम रस्सी को ठीक करने में जुटी हुई है और इसे सुचारू रूप से तैयार करने में लगभग कुछ घंटे का समय लगेगा।
भुंडा महायज्ञ के दौरान बेड़ा का साहसिक कार्य जहां वह रस्सी के सहारे खाई को पार करता है सबसे पवित्र और रोमांचक रस्म मानी जाती है। इस रस्म को निभाने वाले 69 वर्षीय सूरत राम ने कहा कि यह मेरे लिए जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। इस रस्म को निभाना मेरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारी है।
महायज्ञ में जुटे लाखों श्रद्धालुओं के बीच उत्साह और श्रद्धा का अद्भुत माहौल देखने को मिल रहा है। रस्म के टूटने के बावजूद श्रद्धालु अपने स्थान पर बने रहे और रस्सी के ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा