बिहार में दलितों पर बढ़े जूल्म पर रोक लगाई जाय : माले

बेतिया, 21 सितंबर (हि.स.)। महागठबंधन की सरकार में जाति आधारित सर्वेक्षण के उपरांत राज्य के तकरीबन 95 लाख महागरीब परिवारों को लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख रु. की सहायता राशि की सरकारी घोषणा आय प्रमाण पत्र के झमेले और ऑनलाइन आवेदन के प्रावधानों के कारण एक क्रूर मजाक बनकर रह गई है. इस राशि के लिए 72 हजार रु. से कम वार्षिक आमदनी के आय प्रमाण की शर्त लगा दी गई है जबकि बैरिया अंचल प्रशासन 1 लाख रु. से नीचे का प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा है.उक्त बातें हक दो वादा निभाओ अभियान के तहत बैरिया अंचल सह प्रखण्ड मुख्यालय पर आयोजित विशाल प्रदर्शन के दौरान माकपा माले नेता सह किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने शनिवार काे कही।जब सरकार के पास पहले से 95 लाख महागरीब परिवारों का डाटा उपलब्ध है तो फिर आय प्रमाण पत्र क्यों मांगा जा रहा है? सरकार की ओर से जारी लघु उद्यमों की सूची में पशुपालन जैसा महत्वपूर्ण क्रियाकलाप शामिल ही नहीं है, जो गरीबों के जीवन-जिंदगानी का सबसे बड़ा सहारा है.

माले नेता सह मुखिया संघ के प्रवक्ता नवीन कुमार ने कहा कि सरकार ने सभी भूमिहीनों को पांच- पांच डिसमिल जमीन देने की घोषणा की थी लेकिन बैरिया अंचल में पिछले दिनों दिये गये सैकड़ों गरीब भूमिहीनों के आवेदनों पर अब तक एक भी गरीब को आपरेशन बसेरा के तहत भुमि नहीं दिया गया है। अगर सभी भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल जमीन और पक्का मकान नहीं मिलता है आने वाले दिनों में माले भूमि अधिकार आंदोलन के तहत सरकारी और सीलिंग से फाजिल जमीनों को भू माफियाओं से मुक्त कराकर गरीबों को बसाने का काम करेगी जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार और अंचल प्रशासन की होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / अमानुल हक

   

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