विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू समाजों की समस्याओं को लेकर पाली में बहिष्कार आंदोलन मंगलवार काे

जयपुर, 6 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं डीएनटी समन्वय समिति के अध्यक्ष लालजी राईका ने कहा है कि विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समाजों के लिए रेनेके और इदाते आयोग की रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों ने नीतियां बनाई लेकिन राजस्थान सरकार ने अभी तक इस समाज के प्रति उदासीन रवैया अपनाया हुआ है और इस कारण इस समाज के लोग परेशानी झेल रहे हैं।

राष्ट्रीय पशुपालक संघ के संस्थापक उपाध्यक्ष झालाराम देवासी और भीकू सिंह राईका ने कहा है कि जातियों को सूचीबद्ध करने में अनेक विसंगतियां हैं जैसे रेबारी लिखा है लेकिन उसके पर्याय सब्द राईका (रायका) और देवासी नहीं लिखा है। इससे किसी के पहचान सर्टिफिकेट नहीं बन रहे। जोगी- कालबेलिया लिख दिया जबकि जोगी और कालबेलिया अलग अलग है। बावरी लिखा है लेकिन बागरिया नहीं लिखा, नायक और भोपा एक ही जाति है लेकिन उनको अलग अलग वर्ग में डाल दिया है। बंजारा, भाट और राव एक ही है लेकिन उनमें भी भूल की है। इनके सुधार के लिए हाल ही में कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन भी दिया लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं किया गया। लालजी राईका ने बताया कि इन आयोगों के आधार उनकी डीएनटी समन्वय समिति ने एक मांग पत्र बनाया है। इन मांगों के लिए यह समन्वय समिति राष्ट्रीय पशुपालक संघ और विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू परिषद के नेतृत्व में आंदोलन करेगी। इसके तहत मंगलवार को पाली में बहिष्कार आंदोलन करेंगे, जिसमें सरकार की आधी-अधूरी योजनाओं का बहिष्कार करेंगे और उस आदेश की होली जाएंगे, जिसमें हमारी जाति के साथ विसंगतियां की है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

   

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