भारतीय सेना के गौरव सेनानी ब्रिगेडियर गुलिया इन्फैंट्री दिवस के उपलक्ष्य में एक दिन में चले सवा लाख कदम
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- Oct 26, 2024
जयपुर, 26 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय सेना के 75 वर्षीय गौरव सेनानी ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया ने इन्फैंट्री दिवस 2024 के उपलक्ष्य में 26 अक्टूबर को जयपुर में 1,25,000 कदम यानी लगभग 114 किलोमीटर पैदल यात्रा की। उन्होंने ‘सवा लाख से एक लडाऊ’ थीम के तहत सिख रेजिमेंट की सच्ची भावना में ‘सवा लाख कदम’ चलने के उद्देश्य से यह यात्रा शुरू की।
जन संपर्क अधिकारी (रक्षा) कर्नल अमिताभ शर्मा ने बताया कि उन्होंने सिख रेजिमेंट के सैनिकों और उत्साही लोगों के साथ मध्य रात्रि 12 बजे से अपनी यात्रा शुरू की जो विभिन्न स्थानों पर चले। उन्होंने महादेव नगर में अपने घर से यात्रा की शुरुआत की, फिर जयपुर मिलिट्री स्टेशन के सिख रेजिमेंट गुरुद्वारा में पारंपरिक तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद 9.30 बजे उन्होंने दक्षिण पश्चिमी कमान के युद्ध स्मारक प्रेरणा स्थल पर बहादुरों को श्रद्धांजलि और सलामी दी। गौरव सेनानी ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया ने ग्रास फार्म नर्सरी पार्क खातीपुरा में अपनी पदयात्रा जारी रखी और समापन चरण के लिए गांडीव स्टेडियम की ओर बढ़े। ब्रिगेडियर गुलिया की इस यात्रा में एक प्रसिद्ध अल्ट्रा मैराथन एथलीट शेर सिंह, फिटनेस वॉकर शक्ति, पूजा, रजनीश और सिख रेजिमेंट के सैनिक शामिल हुए जिन्होंने युवाओं और सभी देशवासियों को फिट इंडिया का संदेश दिया।
उन्हाेंने बताया कि गौरव सेनानी ब्रिगेडियर गुलिया 28 अक्टूबर को 76 वर्ष के हो जाएंगे और उन्होंने अपनी पदयात्रा और जीवन यात्रा भारत माता, सिख रेजिमेंट और सभी इन्फेंट्री सैनिकों को समर्पित की। ब्रिगेडियर गुलिया ने नागरिकों को भारतीय सेना और इन्फेंट्री सैनिकों के अद्वितीय साहस और बलिदान का सम्मान करने के लिए उनके साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया। ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया ने गांधी नगर में एक इन्फेंट्री ब्रिगेड 4 सिख की कमान संभाली थी और वे बरेली में माउंटेन डिवीजन के डिप्टी जीओसी थे। उन्होंने जयपुर और सरिस्का के आसपास की लगभग सभी पहाड़ियों और किलों का पता लगाया है, 70 साल की उम्र के बाद कई मौकों पर एक ही दिन में 60-70 किलोमीटर से अधिक की ट्रैकिंग करते हुए सभी भारतीय हिमालयी राज्यों में ट्रैकिंग की है। ब्रिगेडियर गुलिया ने ‘सिक्किम की मानव पारिस्थितिकी’ (पीएचडी थीसिस के रूप में भी काम किया), ‘आपदाओं की उत्पत्ति’ (2001 में गुजरात भूकंप के मद्देनजर, और पुनर्वास कार्य) जैसी किताबें लिखी हैं और ‘हिमालयन अध्ययन के विश्वकोश’ के 15 खंडों और ‘मानव पारिस्थितिकी के विश्वकोश’ के पांच खंडों में योगदान दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित