स्कूल में बंद हो बुलिंग, साइबर बुलिंग और शारीरिक दंड : रुची कुजूर

रामगढ़, 6 अगस्त (हि.स.)। आज के परिवेश में विद्यालयों में छात्रों के साथ बुलिंग एक आम बात है। स्कूल में छात्रों को दंड दिए जाने की बात भी कानून अपराध है। यह बात मंगलवार को चितरपुर में आयोजित कार्यशाला के दौरान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य रुचि कुजूर ने कही। उन्होंने बताया कि बच्चों को दंड देना बंद होना चाहिए। साथ ही उनकी रैगिंग भी पूरी तरीके से प्रतिबंधित होनी चाहिए।डायट, चितरपुर में एनसीपीसीआर के द्वारा विद्यालय में बुलिंग और साइबर बुलिंग तथा शिक्षा अधिकार नियम 2009 के अंतर्गत शारीरिक दंड उन्मूलन पर कार्यशाला आयोजित की गई थी।

इस कार्यशाला में सरकारी और निजी विद्यालय के प्रधानाध्यापक शामिल थे। कार्यशाला के मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य रुचि कुजूर तथा विशिष्ट अतिथि जेसीआरटी के उपनिदेशक महीप सिंह और रामगढ़ के जिला शिक्षा अधीक्षक संजीत कुमार थे। कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। उसके बाद सुनील कुमार, पीजीटी, प्लस टू उच्च विद्यालय मांडू द्वारा साइबर बुलिंग पर प्रजेंटेशन दिया गया। जेसीआरटी उपनिदेशक महीप सिंह ने कहा कि सभी विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यालय के बच्चे और शिक्षकों के अपने बच्चे भी साइबर बुलिंग का शिकार नहीं हो। वर्तमान समय में साइबर बुलिंग के कारण बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं तथा उनकी पढ़ाई बाधित होती है। इसे रोकने के लिए समाज में साइबर बुलिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

मुख्य अतिथि रुचि कुजूर ने शिक्षा अधिकार नियम 2009 के अंतर्गत शारीरिक दंड उन्मूलन पर चर्चा की। साथ ही समाज में फैले कुरीतियों के उन्मूलन पर भी चर्चा की गई। मध्य विद्यालय कुरूम के प्रभारी प्राचार्य सत्येंद्र कुमार द्वारा विद्यालय में बुलिंग को रोकने के कई तरीके बतायें। कार्यशाला का मंच संचालन जितेंद्र ज्योति ने किया तथा स्वागत भाषण मोनादीपा बनर्जी और एडीपीओ रामगढ़ के द्वारा दिया

गया।

हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश / शारदा वन्दना

   

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