बुन्देलखण्ड की जल सहेलियां महिला शक्ति का प्रतीक : डॉ. बबीता चाैहान

--परमार्थ संस्था एवं समाज कार्य विभाग बुवि के संयुक्त तत्वावधान में हुआ महिला अधिकार सम्मेलन

झांसी, 12 मार्च (हि.स.)। महिलाओं को एक दिन तक सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे दुनिया की आधी आबादी हैं। यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस नहीं, बल्कि महिला सम्मान दिवस है। जो समाज में महिलाओं के योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाना चाहिए। जल संरक्षण में महिलाओं की पहल देखकर स्पष्ट है कि वे किसी भी क्षेत्र में योगदान दे सकती हैं। बुन्देलखण्ड की जल सहेलियां इसी शक्ति का प्रतीक हैं। यह विचार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में आयोजित महिला अधिकार सम्मेलन में मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ0 बबीता चौहान ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वतंत्रता के लिए लड़ी थीं, इसलिए उन्हें दुनिया याद करती है। आज भी समाज की हर महिला को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अंधेरों को कोसने से कुछ नहीं होता, अपने लिए दिया तो खुद ही जलाना पड़ेगा।’’ जल सहेलियों ने यह साबित किया है कि संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। महिला आयोग उनके साथ मिलकर महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने का कार्य करेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मुकेश पाण्डे ने कहा कि समाजसेवा का कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाना चाहिए, ताकि उनका मनोबल बढ़े। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से राज्यपाल के सम्मान हेतु नीति और जल सहेलियों का नाम भेजा गया था, जिससे उनके कार्य को और अधिक मान्यता मिले। इस दौरान जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली जल सहेली सिरकुंवर, अजब, सीमा, पुष्पा, पूजा, आरती, रामदेवी, द्रोपदी, बेना, कपूरी, माया, रेखा, दीपा, कामिनी, गायत्री, लक्ष्मी, सोनम कुशवाहा, तारा और लाडकुंवर को सम्मानित किया गया।

विशिष्ट अतिथि डॉ0 रचना विमल ने कहा कि जल सहेलियों का कार्य भारत के विकास के किसी भी प्रयास से कम नहीं है। परमार्थ संस्था के प्रमुख डॉ0 संजय सिंह ने जल सहेलियों की ऐतिहासिक जल यात्रा का उल्लेख किया, जो जल संरक्षण और जन जागरूकता के लिए निकाली गई थी। उन्होंने कहा कि जल सहेलियां जल संरक्षण के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

राज्य महिला आयोग की सदस्य अनुपमा सिंह लोधी ने कहा कि जल की एक-एक बूंद धरती को सिंचित कर वृक्षों को जीवन देती है, जो हमें प्राणवायु प्रदान करते हैं। वहीं, महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात ने जल सहेलियों द्वारा जल संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी पहल की रोशनी पूरे देश में फैलनी चाहिए। जैसे बुन्देलखण्ड में नदियों का पुनर्जीवन हुआ, वैसे ही पूरे भारत में जल संरक्षण को बढ़ावा देना चाहिए।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण समाज कार्य विभागाध्यक्ष डॉ0 यतिन्द्र मिश्र ने एवं संचालन डॉ0 नीति शास्त्री और आभार डॉ0 अनुपमा सोनी ने किया। इस अवसर पर डॉ0 मुहम्मद नईम, डॉ0 नेहा मिश्रा, शिवानी सिंह,अदिति, सिद्धगोपाल सिंह झाँसी,जालौन,ललितपुर,टीकमगढ़, छतरपुर एवं हमीरपुर जिले की 500 से अधिक जल सहेलियां उपस्थित रहीं।

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हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया

   

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