सी-डॉट और आईआईटी मंडी ने गतिशील स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने के लिए वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसर के सेमीकंडक्टर चिप विकसित करने का समझौता किया

नई दिल्ली, 13 जनवरी (हि.स.)। दूरसंचार विभाग (डॉट) की प्रमुख इकाई सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स (सी-डॉट) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जम्मू (आईआईटी जम्मू) के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (आईआईटी मंडी) के साथ स्पेक्ट्रम उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वाइडबैंड स्पेक्ट्रम-सेंसर एएसआईसी-चिप विकसित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में बताया कि दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना के तहत इस पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस हस्ताक्षर समारोह में सी-डॉट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राज कुमार उपाध्याय, आईआईटी मंडी के प्रधान अन्वेषक डॉ. राहुल श्रेष्ठ, आईआईटी जम्मू के सह-अन्वेषक डॉ. रोहित बी. चौरसिया और सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला और सुश्री शिखा श्रीवास्तव उपस्थित थे।

मंत्रालय के मुताबिक भारतीय स्टार्टअप, शिक्षाजगत और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को वित्तीय सहायता के लिए बनाई गई यह योजना दूरसंचार उपकरणों और इसके समाधानों के डिजाइन, उन्हें विकसित करने और व्यावसायीकरण के लिए अहम है। इसका उद्देश्य ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को किफायती बनाना है, जिससे पूरे भारत में डिजिटल विभाजन को पाटा जा सके। इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण भारत में ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए स्पेक्ट्रम होल्स की सहायता से स्पेक्ट्रम दक्षता बढ़ाने के लिए विश्वसनीय और कार्यान्वयन-अनुकूल वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसिंग (डब्ल्यूएसएस) एल्गोरिदम विकसित करना है। स्पेक्ट्रम होल में द्वितीयक उपयोगकर्ता प्राथमिक उपयोगकर्ता को प्रभावित किये बिना डेटा संचारित कर सकता है।

इस अवसर पर सी-डॉट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राज कुमार उपाध्याय ने विविधता पूर्ण देश की विशिष्ट आवश्यकताएं पूरी करने में स्वदेशी तौर पर डिजाइन और विकसित स्पेक्ट्रम सेंसिंग प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए आत्मनिर्भर भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। डॉ. श्रेष्ठ और डॉ. चौरसिया ने वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसिंग के लिए नए एल्गोरिदम और हार्डवेयर मॉड्यूल के विकास से गतिशील स्पेक्ट्रम एक्सेस तकनीक विकसित करने के प्रति समर्पण दोहराया जो भारत सरकार के मेक-इन-इंडिया और इंडिया-सेमीकंडक्टर मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप है।

उन्होंने इस अनुसंधान में सहयोग के लिए डॉट और सी-डॉट के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह दूरसंचार क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान क्षमताओं और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ावा दे रहा है। यह परियोजना संचार एल्गोरिदम के डिजाइन पर ध्यान केंद्रित करेगी जो कम उपयोग में आ रहे बैंड (ह्वाइट स्पेसेज) का पता लगाने और उनके उपयोग के लिए वाइडबैंड स्पेक्ट्रम (2 गीगाहर्ट्ज बैंडविड्थ से परे) के संवेदन के लिए हार्डवेयर अनुकूल है और संचार प्रणाली के स्पेक्ट्रम उपयोग को बढ़ाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

   

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