पार्थ चटर्जी ने खुद लिखे थे 'अयोग्य' उम्मीदवारों के नाम, सीबीआई की चार्जशीट में बड़ा दावा
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- Jan 03, 2025
कोलकाता, 3 जनवरी (हि.स.) । पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ा खुलासा किया है। सीबीआई की चार्जशीट में दावा किया गया है कि राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी स्वयं 'अयोग्य' उम्मीदवारों की सूची पर टिप्पणियां लिखते थे और उन्हें नौकरी देने के निर्देश देते थे।
सीबीआई ने अदालत में 19 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें पार्थ चटर्जी और तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य का नाम प्रमुखता से शामिल है। जांच एजेंसी ने बताया कि कोलकाता स्थित विकास भवन में छापेमारी के दौरान एक सूची बरामद की गई, जिसमें उन उम्मीदवारों के नाम दर्ज थे जो शिक्षक बनने के योग्य नहीं थे। इस सूची पर पार्थ चटर्जी की हस्तलिखित टिप्पणियां थीं, जिनमें लिखा था— ‘इसे लेना ही होगा’, ‘यह बहुत जरूरी है’ आदि। हालांकि, सीबीआई इस मूल दस्तावेज को जब्त नहीं कर सकी, लेकिन पार्थ के निर्देशों की प्रतिलिपि उसके पास है।
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पार्थ के आदेश पर नियुक्त हुए ‘अयोग्य’ उम्मीदवार
सीबीआई के अनुसार, जून 2023 में विकास भवन से 324 'अयोग्य' उम्मीदवारों की सूची बरामद की गई थी। जांच में पता चला कि इनमें 321 उम्मीदवारों के नाम पक्के तौर पर शामिल थे। इस सूची में प्रत्येक उम्मीदवार के नाम के साथ उनका रोल नंबर और सिफारिश करने वाले प्रभावशाली व्यक्ति का नाम दर्ज था।
चार्जशीट में उल्लेख किया गया है कि पार्थ चटर्जी अलग-अलग उम्मीदवारों के नाम के पास अलग-अलग टिप्पणियां लिखते थे। कुछ नामों के पास ‘इसे लेना ही होगा’ (Must be taken) लिखा गया था, तो कुछ के पास ‘यदि प्रशिक्षित हो तो लेना है’ (Only trained to be taken) जैसी बातें लिखी थीं। इतना ही नहीं, पार्थ चटर्जी उम्मीदवारों के नाम के साथ उनका जिला भी लिखते थे, जैसे ‘बांकुड़ा’, ‘पुरुलिया’ आदि। कुछ नामों के पास ‘वीवीआई’ (Very Very Important) भी लिखा गया था, जिसका मतलब था कि इन लोगों को नौकरी मिलनी ही चाहिए।
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माणिक भट्टाचार्य तक पहुंचती थी सूची
सीबीआई की जांच में सामने आया है कि स्कूल शिक्षा विभाग में डेटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर तैनात सुपर्णा नियोगी नाम की महिला पार्थ चटर्जी की लिखावट को दूसरी सूची में उतारती थीं। इसके बाद इस सूची को एक सीडी के साथ तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य को भेज दिया जाता था। माणिक उस समय प्राथमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष थे।
सीबीआई ने चार्जशीट में बताया कि पार्थ की सिफारिश पर 2014 की टीईटी परीक्षा के जरिए 134 ‘अयोग्य’ उम्मीदवारों को शिक्षक की नौकरी मिल गई थी। हालांकि, पार्थ की हस्तलिखित टिप्पणियों वाला कागज अब तक बरामद नहीं किया जा सका है। सीबीआई का दावा है कि प्रतिलिपि तैयार होने के बाद मूल दस्तावेज वापस पार्थ चटर्जी को लौटा दिया जाता था।
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गवाहों से पूछताछ में सामने आए कई राज
सीबीआई ने इस मामले में कई गवाहों से पूछताछ की, जिसमें डेटा एंट्री ऑपरेटर सुपर्णा नियोगी भी शामिल थीं। उन्होंने बातचीत में बताया, हम चार डेटा एंट्री ऑपरेटर थे। सीबीआई ने हमें बुलाया था और कुछ कागजात दिखाए थे। इनमें ‘बांकुड़ा’, ‘पुरुलिया’ जैसे जिलों के नाम लिखे थे। लेकिन हमें यह याद नहीं कि इनमें मंत्री की लिखावट थी या नहीं। हमें जो निर्देश दिए जाते थे, हम वही लिखते थे।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर