केंद्रीय गृहमंत्री से दिल्ली में मिले छत्तीसगढ़ के नक्सल पीड़ित परिवार, न्याय व पुनर्वास की मांग

नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों ने केन्द्रीय गृह मंत्री शाह से अपनी व्यथा साझा करतेगृह मंत्री शाह को स्मृति चिन्ह भेंट करते नक्सल प्रभावित दल

21 सितंबर को राष्ट्रपति से भी मिलेगा यह प्रतिनिधिमंडल

नई दिल्ली/रायपुर 19 सितंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों ने गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात की। शाह से मुलाकात करने वाले दल में 70 लोग शामिल थे। नक्सल हिंसा के इन पीड़ितों ने गृहमंत्री के साथ अपनी व्यथा साझा की और न्याय एवं पुनर्वास की मांग की। यह दल 21 सितंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भी मिलेगा।

गृहमंत्री शाह से मिलने वालों में कई ऐसे भी हैं जिन्होंने नक्सलियों के हाथों अपने परिजनों को खोया है, कुछ ने अपने अंग गंवाए हैं और कुछ पूरी तरह से अपाहिज हो गए हैं। इस दल का नेतृत्व बस्तर शांति समिति ने किया। यह समिति राज्य में नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास के लिए काम करती है।

पीड़ितों ने बताया कि यह दल 21 सितंबर को राष्ट्रपति मुर्मु से भी मुलाकात करेगा। दल के सदस्य राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती, विकास कार्यों की गति बढ़ाने और नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की मांग की जाएगी।

पीड़ितों ने बताया कि नक्सली हमलों के कारण उनके जीवन में गंभीर व्यवधान आए हैं। इस मुलाकात के दौरान गृहमंत्री शाह ने नक्सल पीड़ितों की व्यथा को ध्यान से सुना और उनकी समस्याओं पर गंभीरता दिखाई। उन्होंने इन लोगों के संघर्ष और साहस की प्रशंसा की और आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नक्सल पीड़ितों ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कार्यों से प्रभावित होकर अपनी बात दिल्ली तक लाने का साहस कर पाए हैं। राज्य सरकार ने जिस तरह से बस्तर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों और सुरक्षा प्रयासों को प्राथमिकता दी है, उससे यह हिम्मत मिली है कि वे अपनी आवाज़ दिल्ली में उठाएं। पीड़ितों ने कहा कि मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य में जिस प्रकार से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और पुनर्वास के लिए काम किया गया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। राज्य सरकार ने सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी है, जिससे प्रभावित लोगों में नई उम्मीद जागी है।

एक पीड़ित ने बताया, हमने अपने परिवार, अंग और जीवन की खुशियाँ खोईं, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों ने हमें यह हिम्मत दी कि हम अपनी बात देश की राजधानी दिल्ली तक ला सकें। मुख्यमंत्री साय ने न केवल हमारे दर्द को समझा, बल्कि हमें यह भरोसा दिलाया कि हमारे साथ न्याय होगा।

मुलाकात के दौरान नक्सल पीड़ितों ने गृहमंत्री को अपनी आपबीती सुनाई कि कैसे नक्सल हिंसा ने उनके जीवन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। किसी ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया, किसी ने अपने अंग गंवाए और कई लोग अब भी शारीरिक और मानसिक रूप से इन हमलों के जख्मों से जूझ रहे हैं।

गृहमंत्री से मुलाकात से पहले, नक्सल पीड़ितों का यह दल जंतर-मंतर पर भी पहुंचा था, जहां उन्होंने अपनी समस्याओं को आम जनता के सामने रखा। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास और शांति को प्राथमिकता दी जाए और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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हिन्दुस्थान समाचार / गेवेन्द्र प्रसाद पटेल

   

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