मुख्यमंत्री ने शुरू की निजुत मोइना योजना

CM kicks off NIJUT MOINA SCHEME

- बाल विवाह समाप्त करने का शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन: सीएम

- तीन से चार वर्षों में निजुत मोइना के तहत 10 लाख छात्राओं को किया जाएगा शामिल

गुवाहाटी, 08 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने आज यहां दिसपुर के लोक सेवा भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में निजुत मोइना योजना का औपचारिक शुभारंभ किया। यह मासिक वित्तीय सहायता योजना लड़कियों को उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ाने और बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई के लिए है।

इस योजना की परिकल्पना छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई है। यह योजना सरकार की पहले से चल रही ‘निःशुल्क प्रवेश’ योजना का पूरक भी होगी। इस योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में हाई स्कूल से लेकर पीजी स्तर तक की छात्राओं को मासिक वित्तीय सहायता दी जाएगी।

शैक्षणिक वर्ष में 10 महीने वित्तीय सहायता दी जाएगी। हाई स्कूल प्रथम वर्ष की छात्राओं को 10 महीने के 10 हजार रुपये यानी एक हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से मिलेंगे। वहीं, स्नातक स्तर की छात्राओं को 12 हजार 500 रुपये, यानी हर महीने 1250 रुपये और पीजी स्तर की छात्राओं को 25 हजार रुपये यानी हर महीने 2500 रुपये 10 महीने तक मिलेंगे।

आगामी 10 अक्टूबर से वित्तीय सहायता डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की जाएगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि निजुत मोइना योजना का मुख्य सामाजिक संदेश बाल विवाह को समाप्त करना है। 1500 करोड़ रुपये की इस योजना से चार साल में 10 लाख लड़कियों को लाभ मिलेगा।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि असम की 20 से 24 साल की 31.8 प्रतिशत महिलाएं मां बन गई हैं, जिसका मतलब है कि उनमें से ज्यादातर की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है। नतीजतन, वे पर्याप्त पोषण और शिक्षा से वंचित रह जाती हैं।

विभिन्न सर्वेक्षणों से पता चलता है कि धुबड़ी, दक्षिण सलमारा जैसे जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले ही शादी कर लेती हैं। वास्तव में, कुछ सर्वेक्षणों से यह भी संकेत मिलता है कि कभी-कभी कुछ लड़कियां 12-13 साल की उम्र में ही मातृत्व को गले लगा लेती हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि, बाल विवाह को समाप्त करने के लिए कानून पारित किए गए हैं, लेकिन शिक्षा ही बाल विवाह को हतोत्साहित करने वाला एकमात्र अवरोधक है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि करीब तीन लाख लड़कियां दसवीं कक्षा तक पढ़ती हैं। हालांकि, हायर सेकेंडरी में नामांकन में भारी कमी आती है। ज्यादातर मामलों में गरीबी के कारण उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। इसलिए राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में निशुल्क प्रवेश योजना शुरू की है।

डॉ. सरमा ने कहा कि बाल विवाह को समाप्त करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। व्यावसायिक शिक्षा से बालिकाओं को रोजगार मिलता है, जो अभिभावकों के साथ-साथ बालिकाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनता है। इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना 'निजुत मोइना' को अपनाया है। उन्होंने कहा कि नियमित उपस्थिति और रैगिंग में शामिल न होने पर बालिकाओं को दूसरे वर्ष में ही योजना का लाभ मिलेगा। इस बीच यदि बालिका हाईस्कूल और डिग्री में विवाहित हो जाती है तो उसे योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसी तरह विधायक, सांसद और मंत्री की बेटियां भी योजना के लिए पात्र नहीं होंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले तीन से चार साल में 10 लाख बालिकाओं को इस योजना के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने लाभ के निर्बाध हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थी के बैंक खातों के केवाईसी को अपडेट करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नवंबर-दिसंबर माह में बाल विवाह के खिलाफ एक और अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रज्ञान भारती योजना के तहत डॉ. बाणिकांत काकती मेधा पुरस्कार के लिए पात्र छात्राओं को नवंबर माह में स्कूटी दी जाएगी।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगु, पीएचई मंत्री जयंत मल्लबरुवा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. केके द्विवेदी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश / अरविन्द राय

   

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