माकपा ने बंगाल में पार्टी और प्रचार को नए स्वरूप में ढालने के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति का किया फैसला

कोलकाता, 22 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में माकपा ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे और प्रचार रणनीतियों को बेहतर स्वरूप देने के लिए संबंधित क्षेत्रों के पेशेवरों और विशेषज्ञों को नियुक्त करने का निर्णय लिया है। माकपा के राज्य सचिव और पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने शुक्रवार दोपहर अपने फेसबुक वॉल पर एक विज्ञापन पोस्ट किया। इस विज्ञापन में उन्होंने छह क्षेत्रों के पेशेवरों और विशेषज्ञों से आवेदन मांगे हैं, जिनमें राजनीतिक विश्लेषक, राजनीतिक प्रशिक्षु, कंटेंट राइटर, ग्राफिक्स डिजाइनर और डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञ शामिल हैं। विज्ञापन में लिखा गया है, हमारी सार्वजनिक नीतियों को रूपांतरित और सुधारने के उद्देश्य से आवेदन करें। जनता के लिए, जनता द्वारा।

यह कदम कुछ हद तक प्रशांत किशोर की इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) की कार्यशैली जैसा है। हालांकि, इसमें फर्क यह है कि जहां आई-पैक की सेवाएं कोई भी राजनीतिक पार्टी ले सकती है, वहीं माकपा द्वारा विज्ञापन में जिन विशेषज्ञों और पेशेवरों को नियुक्त किया जाएगा, वे केवल पार्टी के लिए काम करेंगे।

तृणमूल कांग्रेस ने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में आई-पैक की सेवाएं ली थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माकपा के पारंपरिक संगठनात्मक ढांचे में यह कदम अनूठा है। पार्टी अब तक अपने समर्पित कैडरों पर निर्भर रही है, जो मामूली मासिक भत्ते पर पार्टी की सेवा करते थे। यह कैडर-आधारित संगठनात्मक ढांचा 1977 से 2011 तक पश्चिम बंगाल में माकपा-नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार की लंबी अवधि का मुख्य आधार था।

हालांकि, 2011 में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद यह ढांचा कमजोर होने लगा, जिसका असर पार्टी के वोट बैंक में भारी गिरावट के रूप में देखा गया।

2019 और 2024 के दो लगातार लोकसभा चुनावों और 2021 के विधानसभा चुनावों में वाम मोर्चा का खाता भी नहीं खुला। कांग्रेस के साथ सीट साझेदारी के प्रयास, जो 2016 के विधानसभा चुनावों से शुरू होकर इस वर्ष के आम चुनावों तक जारी रहे, भी वाम मोर्चा के लिए लाभकारी नहीं रहे।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि 2026 के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह पहल की जा रही है। विशेषज्ञों की नियुक्ति से पार्टी को एक नया स्वरूप देने और उसके प्रचार तंत्र को आधुनिक बनाने की कोशिश की जा रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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