केंद्र सरकार का आम बजट अमीर परस्त और निराशाजनक : भाकपा
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- Feb 01, 2025
लखनऊ, 01 फ़रवरी (हि.स.)। भाकपा (माले) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को लोकसभा में पेश किये गए मोदी तृतीय सरकार के पहले आम बजट को अमीर परस्त और घोर निराशाजनक बताया है।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी अपने बयान में आम बजट पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में कहा कि जनता एक ऐसा राहत देने वाला बजट चाहती थी, जिसमें बढ़ रही आर्थिक विषमता कम हो और आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़े। लेकिन भाजपा सरकार ने पिछली गलतियां सुधारने की बजाय इस बार भी निराश ही किया है।
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को आयकर में कुछ राहत मिली है, लेकिन मजदूरों, किसानों और आम मेहनतकश जनता को मुश्किल हालातों में ऐसे ही छोड़ दिया गया है जो चिन्ताजनक है। उनके लिए जीएसटी में कमी करने और जनकल्याण योजनाओं में खर्च बढ़ाने की जरूरत की अनदेखी की गई है। निजी क्षेत्र के लगातार बढ़ रहे मुनाफे के बावजूद सरकार की प्राथमिकता अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की जगह जनकल्याण, सामाजिक, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च कम करने की है। यह बिल्कुल जनविरोधी दिशा है। मनरेगा, स्वास्थ्य, ग्राम सड़क योजना, अनुसूचित जाति के लिए स्कॉलरशिप आदि में भी इस बार अपेक्षा से कम राशि दी गई है।
आशा, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व अन्य स्कीम वर्कर्स की नियमित करने और कम से कम न्यूनतम मजदूरी देने की मांग को फिर से नकार दिया गया है। सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवंटन घटाया है। जाहिर है देश के किसान और आम जन को बड़े निजी कारपोरेशनों की दया पर छोड़ा जा रहा है।
इस बजट में जरूरी क्षेत्रों में खर्च न बढ़ा कर सरकार की गलत दिशा में जारी प्राथमिकतायें फिर से उजागर हुई हैं। आंकड़े स्पष्ट बता रहे हैं कि कुल बजट खर्च में दिख रही बढ़ोतरी का करीब 40 प्रतिशत तो लिये गये कर्ज का अतिरिक्त ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जायेगा। जबकि जरूरतमंद आम जन पर बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं जीएसटी व इन्कम टैक्स की हिस्सेदारी कॉरपोरेट टैक्स से ज्यादा हो रही है।
आज पेश बजट 2025-26 मोदी सरकार की अपने क्रोनी पूंजीपतियों और कॉरपोरेट क्षेत्र के पक्ष में जारी आर्थिक झुकाव को पुन: स्थापित कर रहा है। मजदूरों की वास्तविक मजदूरी दर में आयी कमी और उनके नियमित रोजगार के कम हो रहे अवसर की सच्चाई को अनदेखा किया गया है, जबकि सरकार जानती है कि कॉरपोरेट टैक्स का मुनाफा चार गुना तक बढ़ गया है, फिर भी सरकार कॉरपोरेटों पर टैक्स नहीं बढ़ाना चाहती।
ऐसे में यह बजट वर्तमान आर्थिक विषमता बढ़ाने वाला, मजदूरी दर और रोजगार के अवसरों पर हमला करते हुए कॉरपोरेटों के मुनाफे को और बढ़ाने वाला बजट है।
हिन्दुस्थान समाचार / दीपक