अनेक तरह के पापों के प्रायश्चित और नाश करने वाली चैत्र संक्रांति 14 मार्च शुक्रवार को

Rohit


जम्मू, 12 मार्च । चैत्र संक्रांति का सनातन धर्म में विशेष महत्व है शास्त्रों के अनुसार यह संक्रांति अनेक तरह के पापों के प्रायश्चित और नाश करने वाली होती है। चैत्र संक्रांति के दिन सूर्य देव कुम्भ राशि को छोड़ मीन राशि में प्रवेश करते है इसी वजह से इस संक्रांति को मीन संक्रांति भी कहते हैं चैत्र संक्रांति के विषय में इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के *अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री* ने बताया इस साल सन् 2025 ई. को सूर्य देव मीन राशि में 14 मार्च शाम 06 बजकर 50 मिनट पर प्रवेश करेंगे,४५ मुहूर्त चैत्र संक्रांति का पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 26 मिनट के बाद शुरू होगा।

चैत्र संक्रांति के दिन दान का बड़ा महत्व बताया है। इस दिन शुद्ध घी,तिल, सरसो के तेल एवं कंबल दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है छात्र संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान,नदी,सरोवर, एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभकारक माना गया है इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है। अगर किसी कारण आप गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हो तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान अवश्य करें ऐसा करने से गंगा स्नान का पूरा फल मिलता है।

यह संक्रांति राजनेताओं एवं ब्राह्मणों के लिए लाभप्रद रहेगी। यह संक्रांति वृष, मिथुन,कर्क, तुला,वृश्चिक,धनु और मकर राशि वालों के लिए शुभ होगी। संक्रांति के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रम्चार्य का पालन करना चाहिए। इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।

   

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