इस साल मई में कराई जाएगी भारत के एशियाई शेरों की गणना: प्रधानमंत्री
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- Mar 03, 2025
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- नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की 7वीं बैठक में हुए शामिल प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी
- बैठक में डॉल्फ़िन, शेरों के संरक्षण व इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस की स्थापना पर हुई चर्चा
जूनागढ़, 3 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि चीता सरंक्षण योजना को मध्य प्रदेश में गांधीसागर अभयारण्य और गुजरात में बन्नी घास के मैदानों सहित अन्य क्षेत्रों में विस्तारित करने, डॉल्फ़िन और एशियाई शेरों के संरक्षण के प्रयास तेज करने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री ने एशियाई शेरों की गणना इस वर्ष कराने की घोषणा की। मोदी ने जूनागढ़ में वन्यजीवों के लिए एक राष्ट्रीय रेफरल केंद्र की आधारशिला भी रखी।
प्रधानमंत्री माेदी गुरुवार काे गुजरात के सासण गिर राष्ट्रीय उद्यान का दौरा करने के बाद यहां नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ (एनबीएफडब्ल्यूबी) की सातवीं बैठक में शामिल हुए। एनबीएफडब्ल्यूबी की इस बैठक में वन्यजीव संरक्षण में सरकार की ओर से की गई विभिन्न पहलों की समीक्षा की। बैठक में नए संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण और प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलिफेंट, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड जैसे प्रजाति-विशिष्ट प्रमुख कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
बोर्ड बैठक में डॉल्फ़िन और एशियाई शेरों के संरक्षण प्रयासों और इंटरनेशनल बिग कैट्स एलायंस की स्थापना पर भी चर्चा हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने देश में पहली बार आयोजित रिवरिन डॉल्फिन आकलन रिपोर्ट जारी की। इस रिपाेर्ट के अनुसार अनुमान है कि कुल 6,327 डॉल्फ़िन हैं। इस प्रयास में आठ राज्यों की 28 नदियों का सर्वेक्षण शामिल किया गया है। इसकी सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक दर्ज की गई, उसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल और असम का स्थान है।घड़ियाल की घट रही आबादी को लेकर प्रधानमंत्री ने चिंता जताते हुए सरंक्षण के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने गिर के सिंह और चीता के सरंक्षण की सफलता की कहानी को बताया। उन्होंने कहा कि परंपरागत ज्ञान का दस्तावेजीकरण अन्य राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों के उपयोग के लिए एआई की सहायता से होना चाहिए। साथ ही उन्होंने वन्य औषधियों के शोध और दस्तावेजीकरण की भी सलाह दी।
बैठक में प्रधानमंत्री ने मई 2025 में एशियाई शेराें की गणना कराने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री ने जंगलों में लगने वाली आग, मानव-पशु संघर्ष जैसे मुद्दों के समाधान पर चर्चा की। उन्होंने अभ्यारण्य के बाहर बाध संरक्षण पर केंद्रित एक योजना शुरू करने की घोषणा की।
इस माैके पर प्रधानमंत्री ने जूनागढ़ में वन्यजीवों के लिए राष्ट्रीय रेफरल केंद्र की आधारशिला भी रखी। यह केन्द्र वन्यजीव स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलुओं के समन्वय और प्रशासन के केंद्र के रूप में कार्य करेगा। एशियाई शेरों की आबादी का अनुमान हर पांच साल में एक बार लगाया जाता है। आखिरी बार ऐसा अभ्यास 2020 में आयोजित किया गया था। बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने फ्रंटलाइन वन कर्मचारियों की गतिशीलता बढ़ाने के लिए बाइकाें को हरी झंडी दिखाई। माेदी ने गिर में फील्ड लेवल के कार्यकर्ताओं से बातचीत की। बैठक के बाद प्रधानमंत्री राजकोट के लिए रवाना हुए, जहां से वे दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय