
जयपुर, 18 अप्रैल (हि.स.)। मानवता, प्रेम, दया, करुणा और शांति का संदेश देने वाले प्रभु यीशु मसीह के सूली पर चढ़ाए जाने की स्मृति में मसीही समुदाय ने शुक्रवार को गुड फ्राइडे श्रद्धा और गंभीरता से मनाया। इस अवसर पर मसीह धर्मावलंबियों ने गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभाओं में भाग लिया और प्रार्थनाओं के माध्यम से जाने-अनजाने में हुए गुनाहों की माफी मांगी।
गुड फ्राइडे पर क्रूस यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें प्रभु यीशु के जीवन के अंतिम क्षणों का स्मरण किया गया। गिरजाघरों में हुए उपदेशों में यीशु मसीह के सात वचनों को याद किया गया, जिन्हें उन्होंने क्रूस पर कहा था। इन वचनों को मानवता के लिए उनका अंतिम संदेश माना जाता है। उपदेशों में प्रभु द्वारा पहाड़ी पर दिए गए उपदेश, उन्हें सैनिकों द्वारा बांधे जाने और सूली पर चढ़ाए जाने के घटनाक्रम का वर्णन किया गया, जिसे सुनकर कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं।
राजधानी जयपुर के चांदपोल, घाटगेट, सी स्कीम, अजमेर रोड, मालवीय नगर, विद्याधर नगर सहित विभिन्न चर्चों में विशेष आराधनाएं आयोजित की गईं। फादर और पास्टरों ने आराधनाओं में प्रभु यीशु मसीह के जीवन और बलिदान पर प्रवचन दिए। पवित्र क्रूस मार्ग की आराधना की गई और जीवंत क्रूस यात्रा भी निकाली गई।
गुड फ्राइडे को यीशु मसीह की मृत्यु का दिन माना जाता है, इसलिए चर्चों में इस दिन कोई सजावट नहीं की जाती। यह एक शोक का दिन होता है, इस कारण आराधना भी गंभीर और श्रद्धा से परिपूर्ण रही। अन्य त्योहारों की तरह इस दिन चर्चों को फूलों और सजावट से नहीं सजाया गया।
ऐसी मान्यता है कि प्रभु यीशु ने क्रूस पर अपने प्राणों का बलिदान देकर मानव जाति को पापों से मुक्ति और अनंत जीवन का मार्ग दिखाया। उन्हें झूठे आरोपों में धर्मद्रोही बताकर गिरफ्तार किया गया था। कई अदालतों में पेश किए जाने के बावजूद रोम के शासक पीलातुस ने उन्हें निर्दोष पाया, फिर भी यहूदी नेताओं के दबाव में उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश