व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा हिमाचलः मुख्यमंत्री

शिमला, 16 सितंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने ‘व्यवस्था परिवर्तन’ की नवीन पहल के माध्यम से आत्मनिर्भर हिमाचल की नींव रखी है। राज्य सरकार ने प्रदेश की वित्तीय अर्थव्यवस्था सुधारने और आमजन की खुशहाली सुनिश्चित करने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सोमवार को यहां एक मीडिया को संबाेधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुक्खू ने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार के पास राज्य की 23 हजार करोड़ रुपये की धनराशि लंबित है, जो अभी तक प्रदेश को नहीं मिली है। इस धनराशि में से 9300 करोड़ रुपये पिछले वर्ष आई प्राकृतिक आपदा के बाद आवश्यकता आकलन से संबंधित हैं, जो राज्य सरकार को अभी तक जारी नहीं की गए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार को ही 8000 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। इस धनराशि के अलावा, नई पेंशन योजना के 9300 करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास लंबित हैं। उन्होंने कहा कि भाखड़ा बांध प्रबन्धन बोर्ड के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के प्रदेश के पक्ष में फैसले के बावजूद बीबीएमबी ने 4500 करोड़ रुपये का बकाया भी प्रदेश को नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार यह धनराशि राज्य को जारी कर दे तो हिमाचल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को शीघ्र हासिल करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने राज्य की वित्तीय स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुमराह किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल के दौरान कोषागार कभी भी ओवरड्राफ्ट नहीं हुआ है और इससे संबंधित तथ्य भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्रीय वित्त मंत्रालय सत्यापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए सभी राज्य समान हैं। उन्होंने कर्मचारियों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने 1.36 लाख सरकारी कर्मचारियों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है और राज्य की पात्र महिलाओं को 1500 रुपये प्रति माह प्रदान किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार चरणबद्ध तरीके से सभी विधानसभा क्षेत्रों में राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल स्थापित करके शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। प्रदेश सरकार की यह नवोन्मेषी पहल राज्य की मजबूत वित्तीय स्थिति का प्रमाण है। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती पद्धति से पैदा किए गए गेहूं को 40 रुपये और मक्की को 30 रुपये प्रति किलो की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना है। किसानों और पशुपालकों को लाभान्वित करने के लिए प्रदेश सरकार ने भैंस के दूध के खरीद मूल्य को 55 रुपये और गाय के दूध के लिए खरीद मूल्य को 45 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला

   

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