सांप्रदायिक संघर्ष और तुष्टिकरण कांग्रेस की विचारधारा: भाजपा

- असम आंदोलन का विरोध करने के लिए हितेश्वर सैकिया ने की थी आम्सू की स्थापना

गुवाहाटी, 28 अगस्त (हि.स.)। भाजपा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में दिल्ली और दिसपुर में मजबूत सरकार बनने के बाद असम समेत देश के किसी भी हिस्से में सांप्रदायिक झड़प नहीं होने दी गई। भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा देश में अशांति फैलाने के सभी प्रयासों को विफल करके राज्य में एक स्वस्थ और मजबूत सामाजिक सद्भाव का माहौल बनाए रखने में सफलता हासिल की है। सरकार के इस कदम ने विपक्षी दलों को घटिया राजनीति करने का कोई मौका नहीं दिया है। इसलिए कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नेता और कार्यकर्ता हताशा से ग्रस्त हैं। हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक विचारधारा जातीय संघर्ष, सांप्रदायिक संघर्ष और चापलूसी की राजनीति के जरिए समाज में विभाजन फैलाकर सत्ता में बने रहना है। लेकिन 2014 से लगातार तीन लोकसभा चुनाव हारने के बाद, कांग्रेस पार्टी अपने रास्ते से भटक गई है और हमारे पुराने समाज को नष्ट करने की गहरी साजिश में लगी हुई है।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राजीव कुमार शर्मा आज बशिष्ठ स्थित पार्टी मुख्यालय अटल बिहारी वाजपेयी भवन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता के बाद के असम में असम और असमिया की गरिमा को नष्ट करने के लिए विभिन्न साजिशों में शामिल रही है। भाषा आंदोलन, मीडिया आंदोलन, असम आंदोलन और विभिन्न आदिवासी आंदोलनों को बातचीत के जरिए हल करने के बजाय, कांग्रेस पार्टी ने दमन का तरीका इस्तेमाल करके बांग्लादेशी मियां मुसलमानों को असम की जमीन पर अतिक्रमण करने दिया।

उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के शासन के दौरान ही था कि जंगल, सत्र (मठ) और मंदिरों, ब्रह्मपुत्र की चर-चापरी आदिवासी बेल्ट और ब्लॉकों, अनुसूचित जनजातियों के कार्यस्थलों के रूप में जाने जाने वाले विभिन्न बीलों और जलाशयों पर आक्रमण मियां मुसलमानों द्वारा संभव हुआ था। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण यह है कि कांग्रेस नेतृत्व ने, खासकर हितेश्वर सैकिया और तरुण गोगोई के शासन के दौरान, असम की भूमि पर मियां मुसलमानों ने अतिक्रमण किया।

संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता पंकज बरबोरा, ऋतुबरन शर्मा और मीडिया विभाग के संयोजक देवान ध्रुवज्योति मोरल मौजूद थे।

प्रवक्ता ने कहा कि उदाहरण के लिए, हम सभी जानते हैं कि असम आंदोलन के बाद 1991 में बनी हितेश्वर सैकिया की सरकार और 2001 में बनी तरुण गोगोई की सरकार में असम के आदिवासी बेल्ट ब्लॉकों में मियां मुसलमानों की सबसे अधिक आमद रही। 1991 के बाद तत्कालीन सरकारों के संरक्षण में ग्वालपाड़ा, बिलासीपाड़ा, गौरीपुर, गोसाईगांव, बिजनी, सरभोग, कोकराझाड़, मुस्लिमपुर, कलाईगांव, माजबाट आदि कई गांवों से आदिवासी लोगों को व्यवस्थित तरीके से भगाया गया। समय-समय पर मीडिया में इस तरह के फैलाव की खबरें भी आती रही हैं।

रथिमा ग्वालपाड़ा जिले के लखीपुर राजशाही सर्कल के अंतर्गत एक इलाका है। तरुण गोगोई के शासनकाल में मियां मुसलमानों ने राभा और गारो के निवास वाले बड़े लथिमा क्षेत्र से आदिवासियों को खदेड़ दिया और उनकी जमीन और संपत्ति पर कब्जा कर लिया। आज उस क्षेत्र का कोई भी भूमिपुत्र अपने पैतृक स्थान पर लौटने की हिम्मत नहीं करता। तरुण गोगोई के शासन के दौरान लखीपुर सर्किल में 10 से अधिक गारो आदिवासी गांव मियां आक्रमण के अधीन थे। लेकिन, तथाकथित शक्तिशाली कांग्रेस मुख्यमंत्री ने स्वदेशी भूमिपुत्रों को कोई सुरक्षा देने के बारे में नहीं सोचा। इसी तरह, 2012 में अविभाजित दरंग जिले के कई इलाकों पर मियां मुसलमानों ने आक्रमण किया था। नाहरझार, मुराकाटी, मराबेगापारा, पानबारी, शेरपुर, कदमतला, झारगांव, चालनिकुची-अभयपुखुरी, लाइलांग आदि सहित बोड़ो और राभा लोगों की पैतृक भूमि पर मियां आक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया था, लेकिन तरुण गोगोई सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से मियां आक्रमणकारियों को बढ़ावा दिया। यह तो एक उदाहरण मात्र है, मूलनिवासी भूमिपुत्र का दुखद इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है। कांग्रेस का चरित्र यही है।

कांग्रेस पार्टी, जो जनता द्वारा सत्ता से हटाए जाने के बाद से राजनीतिक उथल-पुथल में है, ने हाल ही में खुद को राष्ट्रवादी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश की है। हालांकि, कांग्रेस के ऐसे प्रयास ज्यादा काम नहीं आए हैं। इसलिए, कांग्रेस की मुख्य नीति मियां की चापलूसी करना और मूलनिवासी लोगों का विरोध करना है। विधानसभा में विपक्ष के नेता देवब्रत सैकिया का हालिया बयान इसका ज्वलंत उदाहरण है। हमने विपक्ष के नेता को दक्षिण असम में मियां आक्रमण के समर्थन में असम के 27 राष्ट्रीय संगठनों के फैसले का विरोध करते भी देखा है। हालांकि, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शर्मा ने कहा कि मियां आक्रमण का समर्थन करना कांग्रेस नेता देवब्रत सैकिया की नीति और दायित्व दोनों है।

कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इस बात से निराश है कि देश ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में तीसरी बार नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री चुना है। इसलिए कांग्रेस विभिन्न भागों में सांप्रदायिक घटनाओं को भड़काकर विभाजन की जहरीली गैस फैलाने की कोशिश कर रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

   

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