काशी तमिल संगमम: सांस्कृतिक निशा में कजरी नृत्य की छटा बिखरी, दर्शकों ने सराहा

काशी तमिल संगमम में कथक नृत्य

वाराणसी, 14 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में रविवार को नमो घाट पर आयोजित सांस्कृतिक निशा में काशी के परम्परागत कजरी नृत्य की धूम रही। तमिल मेहमान भी नृत्य देख कर मंत्रमुग्ध हो गए। कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति में वाराणसी पब्लिक स्कूल, लोहता के डांस पीजीटी कुमारी मान्या सिंह के नेतृत्व में स्कूली बच्चों ने कजरी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। इस भव्य, आकर्षक एवं सुन्दर प्रस्तुति को तमिल संगमम में आये मेहमानों ने खूब सराहा। नृत्य में नारायणी, माही, ख्याति, एंजेल, शिवानी, अंशिका, अदिति और अक्षरा आदि छात्राओं के प्रदर्शन की खूब सराहना हुई।

नमो घाट पर काशी–तमिल कलाकारों की प्रस्तुतियों ने वाहवाही बटोरी

संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, तंजावूर की ओर से नमोघाट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में काशी एवं तमिलनाडु के कलाकारों ने अपनी कला साधना से जमकर वाहवाही लूटी।

गंगा किनारे नमो घाट के मुक्ताकाशी प्रांगण में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति वाराणसी के निश्चल कुमार उपाध्याय एवं दल की गायन से हुई। उनके साथ तबला पर भानुशंकर चौबे तथा सह-गायन में दिवित दुबे ने संगत की।

द्वितीय प्रस्तुति में वाराणसी की डॉ. पूनम शर्मा एवं दल ने देवी गीत ‘निबिया की गछिया…’ से गायन का शुभारंभ किया। इसके पश्चात दादरा शैली में ‘नाही मारो नजरिया के बाण…’ की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

तृतीय प्रस्तुति तमिलनाडु से आए आर. सतीश एवं दल के पारंपरिक ओइलियट्टम एवं करगम लोक नृत्य की रही।

चौथी प्रस्तुति नई दिल्ली की वैष्णवी एवं दल ने भरतनाट्यम नृत्य से दी। जिसमें कलाकार वैष्णवी, लक्ष्मी एवं प्रानथी ने शास्त्रीय नृत्य की भाव-भंगिमाओं से दर्शकों को अभिभूत किया।

पंचम प्रस्तुति वाराणसी की शिवानी मिश्रा एवं दल के कथक नृत्य की रही। जिसमें शिवानी मिश्रा, सौरभ त्रिपाठी, करिश्मा केसरी, सृष्टि तिवारी, रानू चौबे, प्रिंसी, नौशीन अंसारी, जाह्नवी राय, सुरभि जैस एवं अंकित कुमार ने समूह नृत्य के माध्यम से कथक की सजीव प्रस्तुति दी।

छठी एवं अंतिम प्रस्तुति पुनः आर. सतीश एवं दल, तमिलनाडु की रही। इसमें डमी हॉर्स एवं कावड़ीअट्टम लोक नृत्य दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सराहा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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