वानिकी के विद्यार्थियों को प्राथमिकता देने की मांग

नैनीताल, 16 अक्टूबर (हि.स.)। कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर नैनीताल के वानिकी विभाग में बुधवार को वानिकी विषय से जुड़े शोधार्थियों और स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राओं की एक बैठक वानिकी के विद्यार्थियों को प्राथमिकता देने की मांग की गई।

बैठक में राज्य की वन विभाग की विज्ञप्तियों में वानिकी विषय से उत्तीर्ण छात्रों को प्राथमिकता दिए जाने और महाविद्यालयों व विद्यालयी शिक्षा में वानिकी विषय को विशेष रूप से शामिल करने की मांग पर चर्चा की गयी। बैठक में कई पूर्व छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन माध्यम से भी भाग लिया। इस दौरान विभिन्न राज्यों के वन विभागों में वानिकी विषय से उत्तीर्ण छात्रों को दी जा रही प्राथमिकता पर भी चर्चा की गई। जैसे जम्मू-कश्मीर और मिजोरम में वन क्षेत्राधिकारी के पद पर 25 प्रतिशत, गुजरात और कर्नाटक में सहायक वन संरक्षक के पद पर 25 से 50 प्रतिशत, उड़ीसा में 50 प्रतिशत, नागालैंड, हिमाचल और मणिपुर में 25 से 50 प्रतिशत और तमिलनाडु में वन विभाग के 100 प्रतिशत पदों पर वानिकी विषय से स्नातक छात्रों को प्राथमिकता दी जा रही है।

इस दौरान कहा गया कि उत्तराखंड राज्य का लगभग 46 प्रतिशत हिस्सा वनाच्छादित है। यहां भारतीय वन अनुसंधान संस्थान और भारतीय वन सर्वेक्षण जैसे प्रमुख संस्थान स्थित हैं। इसके बावजूद राज्य के वन विभाग की विज्ञप्तियों में वानिकी विषय से संबंधित छात्रों को प्राथमिकता नहीं मिलने पर चिंता व्यक्त की।

बैठक में डॉ. कृष्ण कुमार टम्टा, डॉ. प्रदीप सिंह, डॉ. नंदन मेहरा, शोध छात्र योगेश त्रिपाठी, आरिफ, शाहबाज, अंबिका, निर्मला, फलक, नीलम, दीपा, कविता सहित वानिकी के स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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