देसै दे बीर जुआनें गी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि

राष्टहित आस्ते अपना बलिदान देने आले अमर शहीदें गी शत् शत् नमन, ईश्वर इंदी पुण्य आत्मायें गी अपने चिरंजीवी सानिध्य दा पुन्न प्रताप देन तारीक अहमद, जसवंत सिंह, बलविंदर सिंह और जगवीर चौधरी—ये चार नाम केवल नाम नहीं, बल्कि वीरता की ज्वाला हैं, जिन्होंने कठुआ की भूमि को अपने शौर्य से गौरवान्वित किया। इनके बलिदान ने देशभक्ति की वह मशाल जलाई, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।


इन अमर शहीदों का लहू धरती पर बेकार नहीं बहा, बल्कि वह एक सिंदूरी लकीर बन गया, जो विजय और साहस की गाथा लिखता है। तारीक की आँखों में निडरता की अद्भुत चमक थी, जसवंत के हाथों में मातृभूमि के लिए लड़ने का अद्वितीय साहस था। बलविंदर की मुस्कान में आत्मबलिदान की गरिमा छिपी थी, और जगवीर की हुंकार में मातृभूमि की रक्षा का संकल्प गूंजता था।


इन वीर सपूतों ने अपनी जान की आहुति देकर शहादत का ताज पहना, जिसकी हर एक मणि में शौर्य की कहानी बसी है। उनके पराक्रम की महक सदियों तक गूंजती रहेगी, और उनकी वीरता की गाथा हर दिल और हर धारा में सदा गूंजती रहेगी। ये वीर अमर हैं, और उनकी शहादत से देश की मिट्टी सदैव महकती रहेगी।

   

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