देवा महोत्सव में अल्ताफ रजा के गानों पर रात भर झूमते रहे श्रोता 

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बाराबंकी, 26 अक्टूबर (हि.स.)। आवारा हवा का झोंका हूं, आ निकला हूं पल दो पल के लिए... गाने के यह बोल जैसे ही मंच से सुनाई दिए तो लोग कुर्सियां छोड़कर खड़े हो गए। चारों तरफ तालियों की गूंज सुनाई देने लगी। भीड़ से भरे ऑडिटोरियम को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि अल्ताफ रजा को सुनने के लिए लोग आज भी उतने ही बेताब है। अल्ताफ रजा ने आने से जिसके आए बहार, हम वो दीवाने है जो ताजा हवा लेते है, दिल सच्चा ,सूरत आपकी शुभांल्लाह, हमें तो लूट लिया, मिल के हुश्न वालों ने, झूम बराबर ,झूम शराबी, गाकर लोगों को पुराने दौर में पहुंचा दिया। इसके बाद एक के बाद एक प्रस्तुति ने लोगों की शाम यादगार बना दी। शुक्रवार को देवा मेला के ऐतिहासिक ऑडिटोरियम में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सुरों के बादशाह को मंच पर देखकर श्रोताओं का उत्साह सातवें आसमान पर था। फिर अल्ताफ राजा ने जा बेवफा, जा बेवफा हमें प्यार नहीं करना, से उन्होंने बाद अपनी आगे की प्रस्तुति को बढ़ाया। गानों के बीच में उनकी शायरी ने प्रस्तुति में जैसे चार चांद लगा दिए। फिर तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी, महोब्बत की राहों में आकर तो देखो, अन्य धमाकेदार प्रस्तुतियां ने कार्यक्रम को शीर्ष पर पहुंचा दिया। इस कार्यक्रम में जिले के सारे अधिकारी कर्मचारी सहित भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज कुमार चतुवेर्दी

   

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