भक्तों के नौ लक्षण होते हैं, उद्धव के अवतार सूरदास इसके सूत्रधार — संत रमाकांत गोस्वामी 

लखनऊ, 28 नवम्बर(हि.स.)। लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी वर्ष पर लखनऊ में गोमती नदी के तट पर मथुरा वृदांवन के ब्रजभक्त वैष्णवाचार्य संत रमाकांत गोस्वामी महाराज ने भक्तमाल कथा आरम्भ की। संत रमाकांत गोस्वामी ने भक्तमाल की कथा के प्रथम दिवस पर भक्तों के नौ लक्षणों को बताया और उद्धव के अवतार सूरदास को इसका सूत्रधार भी बताया।

भक्तमाल की कथा में भक्तों के लक्षण बताते हुए संत रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि भक्ति, वैराग्य, त्याग, शील या सदाचार, सत्य, अहिंसा, क्षमा, दया, समानता में से कोई एक लक्षण होंगे तो श्रोताओं को भक्त का पदनाम मिल जाता है। भक्तों में इन लक्षणों में कोई न कोई होना ही चाहिए। भगवान के प्रति विश्वास के तीन रूप है, जो भक्त को भगवान से जोड़े रखती हैं।

संत रमाकांत गोस्वामी जी महाराज ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के बारे में कहा कि वाराणसी में श्रीकाशीविश्वनाथ मंदिर और गंगा किनारे घाट का निर्माण माता अहिल्याबाई ने करवाया था। मथुरा में होलकर साम्राज्य का मंदिर बना हुआ है। अयोध्या में ऐसे ही मंदिर बने हुए है। पूरे भारत में मंदिरों के जीर्णोद्धार कराने का कार्य को लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था।

भक्तमाल कथा के दौरान वैष्णवाचार्य संत रमाकांत ने कहा कि सूरदास के बारे में लोग जानते हैं। उनके कथनों का उच्चारण करते हैं। उदाहरण के रूप में रखते हैं किंतु सूरदास के बारे में लोग यह कम जानते हैं, वह उद्धव के अवतार थे। उद्धव को ललिता के श्राप के कारण भूलोक में सूरदास के रूप में जन्म लेना पड़ा। सूरदास को आंखों से नहीं दिखता था, मन की आंखों से सब कुछ दिखता था।

हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र

   

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