मौनी बाबा के रामलीला में चारों भाइयों के मिलन को देख श्रद्धालु आह्लादित

मौनी बाबा के भरत मिलाप का नजारा: फोटो बच्चा गुप्ता

- ऐतिहासिक रामलीला मैदान में त्रेता युग का नजारा दिखा

वाराणसी, 14 अक्टूबर (हि.स.)। परे भूमि नहिं उठत उठाए। बर करि कृपासिंधु उर लाए। स्यामल गात रोम भए ठाढ़े। नव राजीव नयन जल बाढ़े।। गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस के उत्तर कांड की ये पंक्तिया लगातार दूसरे दिन सोमवार को ऐतिहासिक नाटीइमली रामलीला मैदान में जीवंत दिखी। मैदान पर मौनी बाबा रामलीला समिति की ओर से आयोजित भरत मिलाप में भाइयों का भाव विभोर कर देने वाले मिलन को देख श्रद्धालु निहाल हो गये। मैदान में हजारों की भीड़ की उपस्थिति में प्रभु श्रीराम ने भाई भरत और शत्रुघ्न को पुष्पक विमान से उतर हृदय से लगाया तो चारों दिशाओं से पुष्पवर्षा के बीच रघुबर राम चन्द्र की जय, हर हर महादेव का उद्घोष होने लगा। इसके पहले जतनबर से हनुमान जी भरत को प्रभु राम के आगमन का संदेशा देने के लिए रवाना हुए। उनके संदेश पर भरत और शत्रुध्न माताओं, गुरूजनों, नागरिकों के साथ अयोध्या की सीमा नाटीइमली के लिए रवाना हुए। नाटी इमली के भरत मिलाप मैदान में पंहुचते ही भरत और शत्रुध्न शास्टांग लेट गये।

उधर, पुष्पक विमान पर प्रभु राम, माता जानकी और लक्ष्मण जी अयोध्या की ओर प्रस्थान करते हैं। मैदान पर रथ रुकते ही भाइयों से मिलने को आकुल-व्याकुल प्रभु राम स्वयं को रोक न पाये और लक्ष्मण संग रथ से उतरकर भरत से मिलने दौड़ पड़े। प्रभु ने भाईयों को हृदय से लगाया। चारों भाईयों के आपस में गले मिलते ही चारों दिशाएं ‘‘जय श्री राम’ के उद्घोष से गूंज उठी। इसके बाद पुष्पों की वर्षा के बीच रामपंचायतन की आरती रामलीला के प्रबंधक श्रीराम शर्मा ने उतारी। श्रीराम शर्मा ने बताया कि इस वर्ष भरत मिलाप का यह 527वां संस्करण था। लीला का आयोजन 527 वर्षों से लगातार हो रहा है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

सम्बंधित खबर