नीति आयोग के उपाध्यक्ष के साथ बैठक में धामी ने कहा, राज्य के सामरिक महत्व को देखते हुए बने नीति

- आपदा, वनाग्नि, राज्य की फ्लोटिंग आबादी के दृष्टिगत नीति आयोग से विशेष सहयोग की अपेक्षा

देहरादून, 19 अक्टूबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सचिवालय में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी के साथ बैठक की। बैठक में राज्य से जुड़े अहम विषयों पर चर्चा हुई। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने एसडीजी रैंकिंग में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर मुख्यमत्री धामी को बधाई दी। साथ ही राज्य की प्रमुख चुनौतियों पर हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है। राज्य में पर्वतीय, मैदानी, भाबर और तराई क्षेत्र है। राज्य में आपदा, वनाग्नि, पलायन और फ्लोटिंग जनसंख्या बड़ी चुनौती है। दो देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे होने के कारण उत्तराखंड सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है। उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से अनुरोध किया कि हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीतियों का निर्धारण किया जाए। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की आजीविका में वृद्धि के लिए विशेष नीति बनाने का भी अनुरोध किया। इससे पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन जैसी बड़ी समस्या का समाधान होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़े जाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर कार्य कर रही है। इसके दीर्घकालिक परिणाम गेम चेंजर साबित होंगे। 'नदी-जोड़ो परियोजना' के क्रियान्वयन के लिए अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने नीति आयोग से तकनीकी सहयोग का अनुरोध किया।

सवा करोड़ आबादी वाले राज्य उत्तराखंड में 10 गुना लोगों की आवाजाही

धामी ने कहा कि उत्तराखंड की जनसंख्या मूल रूप से लगभग सवा करोड़ है लेकिन धार्मिक और पर्यटन प्रदेश होने की वजह से राज्य की आबादी से 10 गुना लोगों की आवाजाही है। राज्य में फ्लोटिंग जनंसख्या को ध्यान में रखते हुए आधारभूत और बुनियादी सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है। उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से अनुरोध किया कि राज्य में फ्लोटिंग आबादी को ध्यान में रखते हुए राज्य के लिए नीति बने।

सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष नीति बनाने का अनुरोध

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य को प्रतिवर्ष जन-धन की काफी क्षति होती है। राज्य में विकसित किया गया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राकृतिक आपदाओं के कारण काफी प्रभावित होता है। उन्होंने अनुरोध किया कि राज्य की प्राकृतिक आपदाओं को ध्यान में रखते हुए नीति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि वनाग्नि भी राज्य की बड़ी समस्या है। वनाग्नि की चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य को पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होगी। सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए भी विशेष नीति बनाने का अनुरोध मुख्यमंत्री ने किया।

आगामी पांच वर्षों में राज्य की आर्थिकी को दोगुना करने का लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना पूरा करने के लिए 'सशक्त उत्तराखंड पहल' वर्ष 2022 में आरंभ किया। इसके अंतर्गत आगामी पांच वर्षों में राज्य की आर्थिकी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में राज्य की आर्थिकी वर्ष 2022 के सापेक्ष 1.3 गुना हो चुकी है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने अल्पकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक रोडमैप तैयार किए है।

सतत विकास लक्ष्यों की रैंकिंग में उत्तराखंड को प्रथम स्थान मिलने पर मुख्यमंत्री को बधाई

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्यों की रैंकिंग में उत्तराखंड को प्रथम स्थान मिलने पर मुख्यमंत्री को बधाई दी। बैठक में राज्य की प्रमुख चुनौतियों से संबंधित जिन विषयों पर चर्चा हुई है। इन सभी विषयों पर हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के आकांक्षी जनपदों और विकास खंडों के विकास के लिए भी नीति आयोग हर संभव सहयोग करेगी।

इस दौरान उत्तराखंड के सेतु आयोग उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, राज्य सलाहकार नीति आयोग भारत सरकार सोनिया पंत, सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, शैलेश बगोली, एसएन पांडेय, अपर सचिव विजय कुमार जोगदंडे, सीपीपीजीजी के एसीईओ डॉ. मनोज पंत उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण

   

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