सोनीपत:सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर कार्तिक पूर्णिमा का दिव्य उत्सव

15 Snp-2   सोनीपत: कार्तिक का मेला सतकुंभा तीर्थ पर

-श्रद्धा भक्ति आस्था के हजारों श्रद्धालुओं

ने सतकुम्भा तीर्थ कार्तिक पूर्णिमा स्नान किया

-मथुरा, हरिद्वार व पांडूपिंडारा

से वेदपाठियों ने हवन यज्ञ करवाया

सोनीपत, 15 नवंबर (हि.स.)। पीठाधीश्वर

श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी महाराज ने अपने दिव्य संदेश में कहा कि मानव की आस्था परम

सुखदायी है। सोनीपत की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर, सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम, 68

प्रमुख तीर्थों में शामिल है। शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं

ने अल सुबह स्नान किया, हवन किया और प्रसाद ग्रहण किया। हजारों श्रद्धालु कार्तिक स्नान

के लिए पहुंचे, जिनमें श्रद्धालुओं ने हवन यज्ञ में आहुतियां दी।

मथुरा,

हरिद्वार और पांडू पिंडारा से आए वेदपाठियों ने मंत्रोच्चारण के साथ हवन संपन्न कराया।

यह आयोजन न केवल वातावरण को शुद्ध करता है, बल्कि हृदय और मन को भी पवित्रता प्रदान

करता है। विश्वभर में यज्ञ पर हो रहे शोधों में यह पाया गया है कि यज्ञ वायुमंडल से

प्रदूषण को कम करता है और मंत्रोच्चारण से तनाव से मुक्ति मिलती है। कार्तिक मास की

पूर्णिमा को गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना मोक्ष प्राप्ति

का मार्ग माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष कृपा से व्यक्ति

के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

इस अवसर

पर आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया। पीठाधीश्वर श्रीमहंत

राजेश स्वरुप जी महाराज के निर्देशन में मेले की व्यवस्था में सत्यवान स्वरुप महाराज,

सोमवीर शास्त्री, राजीव टांक, जनेश्वर नंबरदार, सेठपाल छौक्कर और आशीष वर्मा सहित कई

स्वयंसेवक लगे रहे। हरिद्वार और पांडू पिंडारा से आए प्राचार्य सतपाल शर्मा, अमन शास्त्री,

विजय शास्त्री, सूरज शास्त्री, नरेंद्र शर्मा, प्रवेश शर्मा और सुरेंद्र शर्मा ने मंत्रोच्चारण

करवाकर हवन संपन्न कराया। नयाबांस से कृष्ण वर्मा परिवार और अहीर माजरा से कप्तान सिंह,

राज सिंह, बलवान सिंह समेत यादव परिवार ने भंडारे की सेवा में योगदान दिया। सिद्धपीठ

तीर्थ सतकुंभा धाम में आयोजित यह महोत्सव आस्था, सेवा और आध्यात्मिकता का प्रतीक रहा,

जो मानव जीवन में शुद्धता और सद्भावना का संचार करता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र परवाना

   

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