दीवार पर सुसाइड नोट चिपकाकर बुजुर्ग पति-पत्नी टैंक में कूदे, दो दिन बाद निकाले शव

नागाैर, 10 अक्टूबर (हि.स.)। कोतवाली थाना इलाके में दीवार पर दो पेज का सुसाइड नोट चिपका कर बुजुर्ग दंपती पानी के टांके (टैंक) में कूद गए। दो दिन तक दोनों के शव टैंक में पड़े रहे। जब वे दो दिन तक पड़ोसियों को दिखाई नहीं दिए तो उन्होंने उनके बेटे को फोन किया। बेटे ने गुरुवार सुबह नागौर पुलिस को फोन कर कहा कि माता-पिता दिखाई नहीं दे रहे, घर जाकर चेक करें। पुलिस पहुंची तो टैंक में दोनों के शव औंधे पड़े थे।

सुसाइड नोट में हजारीराम और चावली देवी ने बेटों-बहुओं पर मारपीट के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि तीन प्लॉट के लिए बेटे-बहू और रिश्तेदार टॉर्चर कर रहे थे।

नागौर एसपी नारायण टोगस ने बताया कि शहर की करणी कॉलोनी निवासी हजारीराम विश्नोई (70) और पत्नी चावली देवी (68) ने प्रथम दृष्टया सुसाइड किया है। दो दिन से हजारीराम और चावली देवी पड़ोसियों को नजर नहीं आए। पड़ोसियों ने इनके बेटे को सूचना दी। बेटे ने गुरुवार सुबह कोतवाली थाना पुलिस को सूचना दी और अनहोनी की आशंका जताई। सूचना मिलने पर कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची। घर के आंगन में पानी के टांके का ढक्कन खुला मिला। चेक किया तो दोनों के शव पानी में उल्टे पड़े थे। दीवार पर सुसाइड नोट चिपकाया हुआ है। मामला गृह क्लेश का लग रहा है। एफएसएल टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए हैं। पुलिस सुसाइड नोट के आधार पर जांच कर रही है। शव टांके से निकाले गए हैं।

हजारीराम ने सुसाइड नोट में बेटों, बहुओं, पोते, बेटियों और अन्य लोगों का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि बेटा राजेंद्र और बहू रोशनी, बेटा सुनील, बहू अनिता, पोता प्रणव, बेटी मंजू व सुनीता परेशान करते हैं। इसके अलावा जशकरण पुत्र खेराजराम, ईशराम पुत्र मलूराम, उसकी पत्नी साऊ, सुखराम निवासी मकराना भी परेशान करते हैं। नाेट में लिखा है कि मुझसे धोखा और झगड़ा कर तीन प्लॉट अपने नाम करवा लिए हैं। बेटी मंजू व सुनीता और बेटे राजेंद्र ने गाड़ी मुझे पीटकर अपने नाम कराई और फिर बेच दी। मैंने पुखराज माली से प्लॉट खरीदा था। करणी कॉलोनी का एक मकान सुनील और उसकी पत्नी अनिता ने अपने नाम करा लिया। अब ये लोग मां-बाप को खाना नहीं दे रहे हैं। हम भूखे-प्यासे बीमार पड़े हैं। रोजाना फोन पर गालियां देते हैं। बेटा सुनील 15-20 लोगों के बहकावे में है। वे उसे सिखाते हैं- इनको (माता-पिता) परेशान करो। ये मर जाएंगे। 19 जनवरी 2002 से ये मेरे पीछे पड़े हुए हैं। सुनील ने अपनी मां चावली को फोन करके कहा कि कटोरा ले लो, मांग कर खाओ। आपको खाना नहीं दूंगा। अगर किसी को बोला तो मार दूंगा।

नाेट में लिखा गया कि तीन बार तो बेटे राजेंद्र ने हमें पीट लिया। दो बार सुनील ने पीटा। कहते हैं कि चुप बैठे रहो। आप दोनों को रात में मार देंगे। दोनों भाई और उनकी पत्नी हमें मार डालेंगे। बख्शेंगे नहीं। कहते हैं कि हम 20-30 आदमियों की गैंग है। पहले भी आपको कई बार पीटा है, क्या हुआ। पुलिस को खरीद लेंगे। भंवर सिंह विश्नोई हमारे साथ है। आप कुछ बिगाड़ नहीं सकते। आप याद रखना, आपको मारना है। लेकिन, टाइम बता नहीं सकते। आपको मारेंगे हजारीराम। मैंने कोई नशा-पता कर नहीं लिखा है। मुझे मरने का डर है। हजारीराम विश्नोई, करणी कॉलोनी, नागौर। आखिर में लिखा है कि कृपया मेरा इंसाफ करना, सहयोग देना।

एडिशनल एसपी सुमित कुमार ने बताया कि हजारीराम और उनकी पत्नी चावली अकेले रह रहे थे। यहां से थोड़ी ही दूरी पर दोनों बेटों के मकान हैं। बड़ा बेटा राजेंद्र बीएसएफ में है। छोटा बेटा अहमदाबाद (गुजरात) में प्राइवेट जॉब करता है। सुनील ने कोतवाली पुलिस को फोन कर सूचना दी थी। हजारीराम के दो बेटे और दो बेटियां हैं। परिवार में खींचतान और वैचारिक विरोध लगता है। पोस्टमॉर्टम करा रहे हैं। आजकल माता-पिता का सम्मान कम हो गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

   

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