ठेकेदारों और कर्मचारियों की लापरवाही से प्रदूषित हो रहा वातावरण, ग्रामीणों ने किया विरोध

कचरा लेकर सड़क के किनारे खड़े ट्रैक्टर

छावनी परिषद और नगर परिषद के ट्रैक्टर सड़क पर फेंक रहे कचरा

रामगढ़, 13 सितंबर (हि.स.)। रामगढ़ शहर का वातावरण कचरा डंपिंग यार्ड में कार्यरत ठेकेदार और कर्मचारियों की लापरवाही से प्रदूषित हो रहा है। लगभग एक दर्जन गांवों में न सिर्फ शहर का कचरा फैल रहा है, बल्कि मुर्रामकला इलाके में कचरे की बदबू से लोगों का बुरा हाल है। जब अधिकारियों और कर्मचारियों ने ग्रामीणों की शिकायत पर पहल नहीं की तो अंततः ग्रामीणों को भी सड़क पर उतरना पड़ा। शुक्रवार को मुर्रामकला और आसपास के कई गांव के लोगों ने कचरा डंपिंग यार्ड में कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया।

डंपिंग यार्ड के पास मुख्य मार्ग पर ही ग्रामीण खड़े हो गए और ट्रैक्टरों को अंदर घुसने से मना कर दिया। ग्रामीणों का कहना था की छावनी परिषद और नगर परिषद के द्वारा कचरा डंपिंग यार्ड चिन्हित की गई है और उसमें अंदर घुसकर कचरा फेंकने का प्रावधान है। लेकिन ठेकेदार और कर्मचारी काफी लापरवाही व्रत रहे हैं, और कचरे को सड़क के किनारे ही फेंक दे रहे हैं। जिसकी वजह से वहां का माहौल काफी खराब हो रहा है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों के द्वारा मरे हुए मवेशियों को भी खुले में सड़कों के किनारे ही फेंक दिया जा रहा है, जिससे महामारी फैलने के भी संभावना है। विरोध करने वालों में तेजपाल महतो, होरिल चौधरी, मिथुन कुमार, विक्की बेदिया, लखेन्द्र महतो, तिलेश्वर बेदिया, सुरेंद्र महतो, सुरेश महतो, बैजनाथ महतो, भूतनाथ महतो, सत्येंद्र करमाली, महेश महतो, शंकर बेदिया, महेंद्र बेदिया, बलदेव महतो, जुगल महतो, मुकेश मुंडा, दिलीप ओहदार, विनोद ओहदार सहित अन्य लोग शामिल थे।

ठेकेदार अंदर घुसकर कचरा फेंकने से करते हैं मना

ट्रैक्टर से कचरा फेंकने आए नगर परिषद और छावनी परिषद के कर्मचारियों ने कहा कि सड़क पर कचरा फेंकना उनकी मजबूरी है। उन्होंने बताया कि कचरा डंपिंग यार्ड से कचरा को दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। जिस कंपनी को यह यह कार्य सौंपा गया है, उसके कर्मचारी और पदाधिकारी छावनी परिषद और नगर परिषद के सफाई कर्मचारी पर अंदर घुसकर कचरा नहीं फेंकने की बात करते हैं। वह कहते हैं कि ज्यादा अंदर जाने से उनका कास्ट बढ़ेगा और वह अंदर से कचरा उठाकर नहीं लेकर जाएंगे। वे लोग सड़क के किनारे ही कजरा फेंकने को कहते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश

   

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