भारत में एंटीबायोटिक का बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल : प्राे दाधीच

बीकानेर, 11 फरवरी (हि.स.)। राजुवास, बीकानेर के प्रो. हेमंत दाधीच ने मंगलवार को कहा कि भारत में एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग किया जाता है, जिसके कारण अन्य दवाएं प्रभावी नहीं हो पातीं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे किसान, जो अधिकांशतः अशिक्षित होते हैं, खाद्य श्रृंखला में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्या को कम करने में पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।

राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी) में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों से संबंधित समस्याओं के समाधान पर आयोजित 10 दिवसीय पाठ्यक्रम में बोलते हुए प्रो. दाधीच ने ऊंट को एक विशिष्ट प्रजाति बताते हुए कहा कि पशुधन रोगों के प्रबंधन के लिए आणविक दृष्टिकोण विकसित किया जाना चाहिए और इसे विद्यार्थियों के माध्यम से फील्ड तक पहुंचाया जाना चाहिए।

केन्द्र के निदेशक और कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. समर कुमार घोरुई ने इस पाठ्यक्रम को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्या तथा आणविक और जैविक पहलुओं के विकास से संबंधित अद्यतन जानकारी का संप्रेषण कर नीतिगत ज्ञान की ओर बढ़ना होगा।

आईसीएआर द्वारा प्रायोजित 10 दिवसीय लघु पाठ्यक्रम खाद्य श्रृंखला में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्या को कम करने के लिए पशुधन रोगों के प्रबंधन के लिए आणविक दृष्टिकोण में देश के विभिन्न राज्यों जैसे- राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु से 25 महिला और पुरुष अनुसंधानकर्ता और विभिन्न विषय विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

पाठ्यक्रम संयोजक डॉ. राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीकानेर स्थित प्रभागाध्यक्ष, डॉ. राम अवतार लेघा, सीएसडब्ल्यूआरआई, डॉ. नरेंद्र कुमार, मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, डॉ. नवरतन पंवार, काजरी और डॉ. सुधीर कुमार, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव

   

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