एफसीआई ने साइलो प्रोजेक्‍ट्स के साथ भंडारण और परिवहन बुनियादी ढांचा मजबूत किया

नई दिल्ली, 27 सितंबर (हि.स.)। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने आधुनिक साइलो परियोजनाओं के साथ भंडारण और परिवहन बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। एफसीआई की ये परियोजनाएं भारत की खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला को आधुनिक बनाने, जरूरी वस्तुओं के कुशल और टिकाऊ भंडारण और आवागमन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम हैं।

उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में बताया कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की 100 दिनों की उपलब्धियों के एक हिस्से के रूप में एफसीआई ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत कई अत्याधुनिक साइलो परियोजनाओं को सफलतापूर्वक विकसित किया है।

मंत्रालय के मुताबिक एफसीआई के बुनियादी ढांचे में नवीनतम संकलन के रूप में देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित 6 परिचालन साइलो शामिल हैं। डिजाइन, निर्माण, वित्त, स्वामित्व और संचालन या डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण के आधार पर निर्मित ये साइलो परियोजनाएं निजी निवेश से विकसित की गई हैं, जो अब पूरी तरह से संचालित हैं। ये साइलो परियोजनाएं इस प्रकार है:-

दरभंगा साइलो परियोजना (बिहार) :- मेसर्स अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स (दरभंगा) लिमिटेड के द्वारा डीबीएफओओ मॉडल के तहत विकसित इस परियोजना में 50 हजार मीट्रिक टन भंडारण क्षमता और एक समर्पित रेलवे साइडिंग शामिल है। इसे अप्रैल 2024 में पूरा किया गया, जो अब पूरी तरह से संचालित है।

समस्तीपुर साइलो परियोजना (बिहार) :- दरभंगा परियोजना के अनुरूप समस्तीपुर में इस साइलो को मेसर्स अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स (समस्तीपुर) लिमिटेड के द्वारा 50 हजार मीट्रिक टन क्षमता के साथ विकसित किया गया था। मई 2024 में पूरा होने के बाद ये परियोजना अब शुरू हो गई है।

साहनेवाल साइलो परियोजना (पंजाब) :- मेसर्स लीप एग्री लॉजिस्टिक्स (लुधियाना) प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा डीबीएफओटी मॉडल के तहत विकसित इस परियोजना की क्षमता 50 हजार मीट्रिक टन है। यह पंजाब में अनाज की खरीद और भंडारण क्षमता में सुधार करके स्थानीय किसानों की सहायता करती है। ये परियोजना मई 2024 में पूरी हुई है।

बड़ौदा साइलो परियोजना (गुजरात) :- बड़ौदा साइलो को मई 2024 में मेसर्स लीप एग्री लॉजिस्टिक्स (बड़ौदा) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पूरा किया गया है। इसकी भंडारण क्षमता 50,000 मीट्रिक टन है। इससे क्षेत्र में अनाज भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई है।

छेहरटा साइलो परियोजना (पंजाब) :- मेसर्स एनसीएमएल छेहरटा प्राइवेट लिमिटेड ने अमृतसर में इसे विकसित किया है। इसकी भंडारण क्षमता 50 हजार मीट्रिक टन है। मई 2024 में पूरी हुई। ये परियोजना अब क्षेत्र में किसानों से खरीदे गए अनाज के लिए आवश्यक भंडारण प्रदान करती है।

बटाला साइलो परियोजना (पंजाब) :- गुरदासपुर में स्थित बटाला साइलो परियोजना, मेसर्स एनसीएमएल बटाला प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित की गई है और इसका काम जून 2024 में पूरा हो गया। 50 हजार मीट्रिक टन क्षमता के साथ ये परियोजना क्षेत्र में एफसीआई के भंडारण बुनियादी ढांचे को और बढ़ाता है, जिससे कई स्थानीय किसानों को लाभ होता है।

मंत्रालय ने बताया कि यह साइलो परियोजनाएं और परिवहन पहल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और भंडारण और परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार करके नुकसान को कम करने की दिशा में एफसीआई के अपनाए गए व्यापक प्रयासों के अनुरूप है। ये साइलो आधुनिक तकनीक से लैस हैं, जो अनाज के बेहतर संरक्षण, नुकसान को कम करने और बेहतर खरीद सुविधाएं प्रदान करके किसानों का समर्थन सुनिश्चित करते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

   

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